Move to Jagran APP

पंजाब में शिअद-भाजपा गठबंधन टूटा, लेकिन दोनों में लिहाज रहेगा बाकी, मर्यादा में हमले

पंजाब में शिअद और भाजपा के बीच 24 साल पुराना गठबंधन टूट अवश्‍य गया है लेकिन दोनों के बीच लिहाज बाकी है। दोनों दल एक-दूसरे के प्रति एक सीमा तक लिहाज का पालन करेंंगे। भाजपा पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल पर कोई टिप्‍पणी नहीं करेगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 07:48 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 07:48 AM (IST)
पंजाब में शिअद-भाजपा गठबंधन टूटा, लेकिन दोनों में लिहाज रहेगा बाकी, मर्यादा में हमले
पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल और पीएम नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी में 24 साल पुराना गठबंधन जरूर टूट गया है लेकिन दोनों दल आपसी लिहाज का पालन करेंगे। आने वाले समय में दोनों दलों में रिश्तों का लिहाज रखने पर मंथन जारी है। शिरोमणि अकाली दल को लेकर भाजपा बेहद सतर्कता बरत रही है। पंजाब भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में फैसला किया गया कि जिस अंदाज में सवाल किया जाएगा, जवाब भी उसी अंदाज में दिया जाएगा, लेकिन पूरे घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का नाम लेने से गुरेज किया जाएगा।

loksabha election banner

भाजपा कोर कमेटी का फैसला, जिस अंदाज में होगा सवाल, जवाब उसी अंदाज में

भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में भाजपा नेताओं ने अकाली दल के उन आरोपों को भी खारिज किया जिसमें कहा गया है कि कृषि विधेयक किसान विरोधी हैं। अश्वनी शर्मा ने कहा कि आखिरी मौके पर अकाली दल का विरोध करना राजनीतिक मकसद साधने के लिए है।

पूरे घटनाक्रम को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का नाम लेने से गुरेज करेगी भाजपा

वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री मदन मोहन मित्तल ने कहा कि बड़ों ने गठबंधन बनाया था और बच्चों ने तोड़ दिया। यह सारा खेल 2022 के चुनाव को लेकर है। लंबी में किसानों के धरने से सुखबीर घबरा गए हैं। न जाने सुखबीर को किसने गठबंधन तोडऩे की सलाह दे दी। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बारे में पूछने पर मित्तल ने कहा कि राजग को बनाने में बड़े बादल की अहम भूमिका है। नरेंद्र मोदी ने भी नामंकन भरने और प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण करते समय बड़े बादल के पैर छुए। उनके बारे में कुछ भी बोलना उचित नहीं है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार जिस तरह अकाली दल सुखबीर बादल केंद्र सरकार में बम फोडऩे की बात कही लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया ठीक वैसे ही भाजपा भी सीधे तौर पर अकाली दल के नेताओं पर सीधे हमले नहीं करेगी।

कांग्रेस को याद आ रहा हरियाणा का पैटर्न

भले की कांग्रेस के दबाव में अकाली दल ने भाजपा से नाता तोड़ लिया है लेकिन कांग्रेस को भाजपा का हरियाणा पैटर्न याद आ रहा है। 2014 में भाजपा ने कांग्रेस के दो बड़े जाट नेताओं को साथ लेकर अपने दम पर सरकार बनाई। वहीं, 2019 में जब इनेलो टूटी तो जजपा के साथ मिलकर दोबारा सरकार बनाई। अब कांग्रेस को डर सता रहा है कि कहीं भाजपा पंजाब में भी वैसा ही कार्ड न खेल दे।

2022 को लेकर सुखबीर नहीं खोल रहे है पत्ते

गठबंधन टूट जाने के बाद 2022 के चुनाव को लेकर सुखबीर अपने पत्ते नहीं खोल रहे। रविवार को वह कार्यकर्ताओं के बीच गए परंतु जब 2022 के चुनाव अलग-अलग लडऩे के संबंध में सवाल उठा तो वह इस सवाल को टाल गए। 

यह भी पढ़ें: पंजाब में खिसकती जमीन बचाने को शिअद का आखिरी दांव, जानें गठजोड़ तोड़ने का असली कारण


यह भी पढ़ें: मांस से अलग हो गया नाखून.., दर्द दोनों को होगा, शिअद और भाजपा के संबंध के रहे कई आयाम


यह भी पढ़ें: आखिर टूट गया 24 साल पुराना शिअद-भाजपा गठजोड़, SAD क‍ृषि विधेयक के खिलाफ राजग से बाहर

यह भी पढ़ें: पंजाब के इस शख्‍स के पास है धर्मेंद्र की अनमोल धरोहर, किसी कीमत पर बेचने को तैयार नहीं

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.