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रिटायर्ड प्रिंसिपल प्रदीप भगत 24 साल से साइकिल चला दूसरों को कर रहे जागरूक Chandigarh News

प्रो. प्रदीप भगत बताते हैं कि कॉलेज के स्टूडेंट से लेकर लेक्चरर और फिर प्रिंसिपल बनने के बाद बीते 24 साल से शौकीया तौर पर साइकिल चला रहा हूं।

By Edited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 09:18 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 04:04 PM (IST)
रिटायर्ड प्रिंसिपल प्रदीप भगत 24 साल से साइकिल चला दूसरों को कर रहे जागरूक Chandigarh News
रिटायर्ड प्रिंसिपल प्रदीप भगत 24 साल से साइकिल चला दूसरों को कर रहे जागरूक Chandigarh News

चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। सिटी ब्यूटीफुल के निर्माता ली कार्बूजिए ने शहर को साइकिल के शहर की पहचान दिलाने के लिए डिजाइन किया था। लेकिन आज शहर की सड़कों पर वाहनों की भारी भरकम भीड़ ने शहर की असल पहचान ही खो दी है। इस हरे-भरे शहर में सुबह-शाम दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो शहरों की तरह सड़कों पर सिर्फ गाड़ियों की लंबी लाइनें दिखती हैं। बीते 24 साल से साइकिल मैन के तौर पर पहचान बनाने वाले चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर-12 (सीसीए) के प्रोफेसर प्रदीप भगत दैनिक जागरण के साइकिल से ही कल है अभियान से जुड़कर लोगों की सोच को बदलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आम लोगों के साथ प्रशासन को भी इसपर गंभीरता से सोचना होगा।

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स्टूडेंट्स गाड़ी और प्रिंसिपल साइकिल पर

प्रो. प्रदीप भगत बताते हैं कि जीवन के शुरुआती दौर में तो आर्थिक तंगी के कारण साइकिल चलाई लेकिन कॉलेज के स्टूडेंट से लेकर लेक्चरर और फिर प्रिंसिपल बनने के बाद बीते 24 साल से शौकीया तौर पर साइकिल चला रहा हूं। बेहद सादगी पसंद प्रो. प्रदीप बताते हैं कि 1996 में चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर (सीसीए) में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नियुक्ति हुई। प्रिंसिपल बनने के बाद भी जब वे साइकिल पर कॉलेज आते थे तो स्टूडेंट्स हंसते थे। लेकिन कुछ ही दिनों बाद स्टूडेंट्स की सोच बदली और काफी स्टूडेंट्स भी साइकिल पर कॉलेज आने लगे। दो बार चोरी होने के बाद भी इन्होंने साइकिल चलाना जारी रखा। रिटायरमेंट के बाद भी प्रो. प्रदीप हर संडे 20 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं जबकि रूटीन के कामकाज भी साइकिल पर ही पूरे करते हैं।

फिटनेस के लिए सबसे बढ़िया साइकिलिंग

स्कूल-कॉलेज के दिनों में बेहतर जिमनास्ट रहे प्रो. प्रदीप कहते हैं कि देश में चंडीगढ़ से बेहतर साइकिल के लिए कोई दूसरी जगह नहीं है। साइकिल चलाने से न सिर्फ प्रदूषण कम होगा, साथ ही यह फिटनेस के लिए भी काफी फायदेमंद है। यूटी सचिवालय में बड़े अधिकारियों के साथ मीटिंग के लिए भी हमेशा साइकिल से ही आते थे जिसे देखकर दूसरे अफसर भी काफी प्रभावित होते थे।

न साइकिल स्टैंड और न रात को लाइट्स

शहर में साइकिलिंग को प्रमोट करने के बारे में प्रो. प्रदीप कहते हैं कि शहर में साइकिल ट्रैक तो हैं लेकिन कई जगह उनकी हालत ठीक नहीं है। शहर में लोगों को साइकिल स्टैंड तक नहीं मिलते। यहां तक रात को साइकिल चलाना सेफ नहीं है। शहर में साइकिल ट्रैक पर रात को लाइटिंग की सुविधा मिलनी चाहिए। अगर प्रशासन चाहे तो आर्किटेक्ट होने के नाते वे इसमें मदद कर सकते हैं। लोगों को हफ्ते में कम से कम एक दिन कार फ्री डे के लिए मोटिवेट किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने पुलिस द्वारा साइकिल चलाने वालों को सम्मान देने और क्रॉसिंग सिस्टम को बेहतर बनाने की बात कही। एजुकेशन इंस्टीट्यूटों में साइकिल लाने वाले स्टूडेंट्स को ग्रेड जैसा इनसेंटिव दिया जाना चाहिए।

जर्मनी में साइकिल को पूरा सम्मान

प्रोफेसर प्रदीप ने बताया कि बीते वर्षो में 10 से अधिक देशों का भ्रमण कर चुके हैं। जर्मनी साइकिलिंग को काफी प्रमोट करता है। हमें भी वहां के सिस्टम को फॉलो करना चाहिए। लोगों को साइकिल क्लब से जोड़कर साइकिल अभियान को सफल बनाना चाहिए। शहर की खूबसूरती को बचाने के लिए यह बहुत जरूरी है। प्रदीप भी साइकिल क्लब से काफी समय से जुड़े हुए हैं। वेंडर्स की तरह शहर की सड़कों पर टाचर पंक्चर वालों को जगह उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि साइकिलिस्ट को टायर पंक्चर होने पर परेशानी न हो।


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