मधुमेह एक लंबी चलने वाली मेडिकल कंडीशन, बचने के लिए संयमित दिनचर्या जरूरी Chandigarh News
मधुमेह रोगियों में से करीब 10-18 प्रतिशत रोगियों में पैर की समस्या विकसित होती है जो पूरे परिवार को सामाजिक आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर सकती है।
मोहाली, जेएनएन। मधुमेह रोगियों में दृष्टिहीनता, हृदय रोग, किडनी फेल होना और कम उम्र में ही बुढ़ापे की परेशानियां जैसे परिणामों में बढ़त देखी जा रही है। फोर्टिस अस्पताल के डायरेक्टर वैस्कुलर सर्जरी डॉ. रावुल जिंदल ने वीरवार को इस पर बात की। पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि मधुमेह रोगियों में से करीब 10-18 प्रतिशत रोगियों में पैर की समस्या विकसित होती है जो पूरे परिवार को सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर सकती है।
डॉ.जिंदल ने कहा कि 10-18 फीसद मधुमेह रोगियों में पैरों की समस्याएं विकसित होती हैं। डायबिटिक न्यूरोपैथी के लिए कुछ टेस्ट करने का सुझाव दिया जाता है, जैसे कि फिलामेंट टेस्ट, क्वाटेटिव सेंसरी टेस्टिंग और नर्व कंडक्शन स्टडीज आदि। उन्होंने एनोडाइन थेरेपी सिस्टम (एटीएस) के बारे में भी बताया, जो दर्दनाक लक्षणों को समाप्त करता है और साथ ही डीपीएन (डायबिटिक पेरीफेरल न्यूरोपैथी) वाले मधुमेह के रोगियों को अधिक मात्र में सनसनी बढ़ाता है। डॉ. जिंदल ने डायबेटिक फुट के मामले में स्किन ग्राफ्टिंग के बारे में भी बात की। डॉ. जिंदल ने कहा कि ‘‘डायबिटीज को नियंत्रित रखने के लिए कई तरीके हैं, जैसे कि एक स्वस्थ आहार का सेवन, एक नियमित फिटनेस दिनचर्या का पालन, वजन पर सही नियंत्रण और सिगरेट पीने से परहेज। इस दिनचर्या पर सख्ती से अमल के कारण मधुमेह को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।’’ इस दौरान मधुमेह के शिकार मरीजों ने अपने अनुभव साझा किए।
इलाज न होने पर कई अंगों को पहुंचता है नुकसान
मधुमेह एक लंबी चलने वाली मेडिकल कंडीशन है। इसमें शरीर या तो इंसुलिन का उत्पादन करने में विफल रहता है या बन रहे इंसुलिन का इस्तेमाल करने में असमर्थ रहता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर चीनी को तोड़कर ऊर्जा उत्पन्न करने में असमर्थ रहता है। यदि इलाज न हो तो मधुमेह से शरीर के कई अंगों को नुकसान हो सकता है। यह बात आहार विशेषज्ञ मालिनी दहिया ने एक कार्यशाला में कही। मालिनी ने कहा कि सबसे आम पुरानी स्थितियों में से एक होने के बावजूद, लोग इस बीमारी के बारे में कम ही जानते हैं।
मधुमेह के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं
बार-बार मूत्र त्याग, अत्यधिक भूख-प्यास, वजन बढ़ना या कम होना, थकान, नजर धुंधलाना और घावों का जल्दी से न भर पाना आदि। मरीज को इंसुलिन लेना है या गोलियां, यह निर्णय खुद से नहीं करना चाहिए, बल्कि एक डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवाएं ली जानी चाहिए। मालिनी दहिया ने आगे कहा कि मधुमेह कभी भी अच्छा या बुरा नहीं होता। इंसुलिन शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने में मदद करती है। यदि यह शरीर के अंदर उत्पन्न नहीं हो रहा है, तो इसे बाहरी रूप से लेना होता है।
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