पीजी के लिए रजिस्ट्रेशन की वैधता दो साल होनी चाहिए, प्रतिनिधियों ने सौंपा मांगपत्र
नगर निगम पीजी को रेजिडेंशियल ऑक्यूपेंसी के तौर पर फायर एनओसी देने के लिए निशुल्क स्कीम चलाए। वशिष्ठ ने अपने मांगपत्र में कहा कि पीजी ऑनर रजिस्टर्ड आरडब्ल्यूए से भी एनओसी ले।
चंडीगढ़, जेएनएन। शहर की कई रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने एडवाइजर मनोज कुमार परिदा को पीजी से संबंधित मांगपत्र सौंपा। सिटी फोरम ऑफ रेजिडेंट्स वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के कन्वीनर विनोद वशिष्ठ ने कहा कि पीजी की परिभाषा तय होनी चाहिए। पीजी की परिभाषा में प्राइवेट हॉस्टल को भी शामिल किया जाना चाहिए। वरियता के आधार पर पुलिस और फायर एनओसी पीजी को दी जानी चाहिए।
नगर निगम पीजी को रेजिडेंशियल ऑक्यूपेंसी के तौर पर फायर एनओसी देने के लिए निशुल्क स्कीम चलाए। वशिष्ठ ने अपने मांगपत्र में कहा कि पीजी ऑनर रजिस्टर्ड आरडब्ल्यूए से भी एनओसी ले। गमाडा और गुरुग्राम में ऐसा ही होता है। जनरल एकेडमिक सेशन को ध्यान में रखते हुए पीजी के लिए रजिस्ट्रेशन की वैधता दो साल होनी चाहिए। बिजली और पानी के रेट भी हॉस्टल की तर्ज पर ही होने चाहिए। जो कॉमर्शियल से कम होते हैं और डोमेस्टिक से कुछ ज्यादा होते हैं। पीजी में फस्र्ट एड, फायर सेफ्टी और सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए। सीसीटीवी अनिवार्य होना चाहिए। नियमों का पालन नहीं करने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
डीसी को ज्ञापन भेजने का दिया भरोसा
एडवाइजर ने सभी मांगों को सुनने के बाद डीसी को यह ज्ञापन भेजने की बात कही। साथ ही पीजी में ऑनर का रहना अनिवार्य करने की शर्त में छूट और रजिस्ट्रेशन पीरियड एक से बढ़ाकर दो साल करने पर जल्द फैसला लेने का आश्वासन दिया। अभी पीजी के लिए जो पॉलिसी है, उसमें पहली शर्त यह ही है कि ऑनर को पीजी में ही रहना होगा।
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