चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में सीरिंज के पोर साइज को कम पर हो रहा रिसर्च वर्क
चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) पटना के सहयोग से सात दिवसीय शॉर्ट टर्म कोर्स को आयोजित किया। इसमें जानकारी देते हुए पेक कोर्डिनेटर डॉ. सरबजीत सिंह ने बताया कि पेक माइक्रो मेन्युफैक्चरिंग पर रिचर्स वर्क कर रहा है।
चंडीगढ़, जेएनएन। देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो जरूरी कि हमारे पास विदेशों की तर्ज पर तकनीक हो। उसी तकनीक को तैयार कर रहा है पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पेक) सेक्टर-12 का स्टाफ। पेक की तरफ से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) पटना के सहयोग से सात दिवसीय शॉर्ट टर्म कोर्स को आयोजित किया। इसमें माइक्रो मेन्युफैक्चरिंग पर चर्चा हुई और उसकी तकनीक को डेवलप करने पर विचार किया गया।
इस मौके मुख्य अतिथि के तौर पर पेक मैकेनिकल डिपार्टमेंट के हेड डॉ. एसके मंगल ने कहा कि हमारे लिए जरूरी है कि बेहतर से बेहतर तकनीक होने के साथ उसकी पूरी और सही जानकारी हो। एक महाशक्ति बनने के लिए हमारे पास हर प्रकार की जानकारी होना जरूरी है।
सीरिंज के पोर साइज को किया जा सकता है कम
जानकारी देते हुए पेक कोर्डिनेटर डॉ. सरबजीत सिंह ने बताया कि पेक माइक्रो मेन्युफैक्चरिंग पर रिचर्स वर्क कर रहा है। वह रिसर्च बेहतर तरीके से हो उसके लिए पेक और पटना एनआइटी के अलावा जर्मनी और नीदरलैंड से भी प्रतिभागियों ने भाग लिया और तकनीक पर अपने- अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि इस समय इंजेक्शन लगाने के लिए हम जिस सीरिंज का इस्तेमाल करते हैं उसका पोर साइज दो सौ से चार सौ माइक्रोन है। जिसे कम किया जा सकता है और उसके कम करने से इंजेक्शन लगाते हुए जो दर्द होता है वह पूरी तरह से खत्म हो सकता है।
विदेशों में हो चुके हैं ऐसे रिसर्च वर्क
उन्होंने बताया कि विदेशों में इस प्रकार के रिसर्च वर्क पूरे हो चुके हैं और उन्हें प्रैक्टिकल लाइफ में शुरू भी किया जा चुका है, लेकिन भारत अभी उससे दूर है। पेक का प्रयास है कि हम ऐसी ही कुछ तकनीक तैयार करें जो कि हमें दूसरे देशों के बराबर खड़ा कर सके। इसके अलावा भी पेक विभिन्न प्रकार की तकनीक पर काम कर रहा है जिसका काम जोरों पर चल रहा है और हमें विश्वास है कि जल्द ही हम बेहतर तकनीक देश को देश सकेंगे।