देश की दूसरी सरस्वती अवॉर्डी लेखिका डॉ. दलीप कौर टिवाणा का निधन
देश की दूसरी सरस्वती अवॉर्डी लेखिका डॉ. दलीप कौर टिवाणा का शुक्रवार दोपहर को मोहाली के मैक्स अस्पताल में निधन हो गया।
जेएनएन, पटियाला। देश की दूसरी सरस्वती अवॉर्डी लेखिका डॉ. दलीप कौर टिवाणा का शुक्रवार दोपहर को मोहाली के मैक्स अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय डॉ. टिवाणा 20 दिनों से बीमार चल रही थीं। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को पटियाला के राजपुरा रोड स्थित बीर जी श्मशानघाट में होगा। डॉ. टिवाणा के परिवार में पति डॉ. भूपिंदर सिंह पुत्र इंजीनियर सिरमनजीत सिंह हैं।
डॉ. टिवाणा के 45 उपन्यास व पांच कहानी संग्रह के अलावा बहुत सी रचनाएं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुई हैं। 1971 में उन्हें उपन्यास 'एहो हमारा जीवन' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे पंजाब साहित्य अकादमी चंडीगढ़ व लुधियाना की अध्यक्ष भी रहीं।
पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में पंजाबी विभाग के प्रोफेसर व भाषा विभाग में डीन के ओहदे पर रहीं डॉ. टिवाणा को शिक्षा व साहित्य क्षेत्र में अहम योगदान के लिए 2004 में पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया था। 2015 में देश में बढ़ते सांप्रदायिक माहौल के विरोध में उन्होंने पद्मश्री अवॉर्ड लौटा दिया था। उन्होंने अपने उपन्यासों व कहानियों के माध्यम से सामाजिक अत्याचार से दबी-कुचली महिलाओं के दर्द को दुनिया के सामने रखा।
उपलब्धियां
डॉ. दलीप कौर टिवाणा को अकादमी क्षेत्र में यूजीसी ने नेशनल लेक्चरशिप अवार्ड से सम्मानित किया था, जबकि साहित्य के क्षेत्र में उनका अहम योगदान है। जिसके चलते 1960-61 में पंजाब सरकार ने उनकी मिनी कहानियां पुस्तक साधना को सर्वोत्तम पुस्तक खुलेआम, 1971 में नॉवल एहो हमारा जीवन के लिए साहित्य एकेडमी अवार्ड, 1975 में पंजां विच्च परमेश्वर' के लिए मिनिस्टरी ऑफ एजुकेशन और सोशल वेलफेयर अवार्ड से सम्ममानित किया गया।
तन, नावल पीले पत्तेंया दी दास्तान के लिए राज्य सरकार के भाषा विभाग ने नानक सिंह पुरस्कार, 1982 में आटो बायोग्राफी 'नंगे पैरां दा सफर' के लिए गुरमुख सिंह मुसाफिर अवार्ड, 1985 में कैनेडियन इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ पंजाबी ऑथर्स एंड आर्टिस्ट अवार्ड, 1987 में भाषा विभाग ने शिरोमणि साहित्यकार अवार्ड, 1989 में पंजाब सरकार की तरफ से प्रमाणपत्र, 1991 में पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना ने धालीवाल अवार्ड, 1993 में पंजाबी एकेडमी दिल्ली ने दशक की सर्वोत्तम नावलिस्ट का अवार्ड भी उन्हें मिला।
डॉ. टिवाणा को 1994 में नावल 'कथा कुकनस दी' के लिए नंजनागुड्डु थीरुमालंबा, 1998 में भारतीय भाषा परिषद कोलकाता की तरफ से नावल 'दूनी सुहावा बाग' के लिए वगदेवी अवार्ड, 1999 में माता साहब कौर अवार्ड, साल 2000 में पंजाबी साहित्य अकादमी की तरफ से करतार सिंह धालीवाल अवार्ड (लाइफ टाइम अचीवमेंट), 2001 में सरस्वती सम्मान, शिक्षा और साहित्यक क्षेत्र में अहम योगदान बदले 2004 में पद्मश्री अवार्ड, 2005 में दूरदर्शन से पंज पानी अवॉर्ड, 2008 में पंजाब सरकार की तरफ से पंजाबी साहित्य रत्न अवार्ड और 2011 में गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर की तरफ से ऑनरेरी डी लिट से सम्मानित किया गया।
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें