याद किया अग्निपथ से मधुशाला तक..
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : डॉ. हरिवंश राय बच्चन की एक-एक कविता को शहर के कवियों ने पढ़ा,
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : डॉ. हरिवंश राय बच्चन की एक-एक कविता को शहर के कवियों ने पढ़ा, जिसमें हर शब्द में बच्चन की कृति और लिखावट पर भी बात हुई। नॉर्थ जोन कल्चरल सेटर, पटियाला द्वारा टैगोर थिएटर-18 में डॉ. हरिवंश राय बच्चन की याद में एक शब्द सुमन समारोह का आयोजन किया। इसमें मंच संचालन कवि वीरेंद्र वीर ने किया। डॉ. उर्मिला कौशिक ने कहा कि डॉ. बच्चन ने लगभग 65 किताबें लिखी, जिन पर शोध भी हुए। डॉ. बच्चन की कृति मधुशाला हिन्दी काव्य की कालजयी रचना मानी जाती है। इनकी आत्मकथा भी हिन्दी साहित्य की एक कालजयी कृति है, जो चार खंडों में हैं, क्या भूलूं क्या याद करूं, नीड़ का निमार्ण, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक। यह आत्मकथा एक व्यक्ति की निजी गाथा नहीं, अपितु युगीन तत्कालीन परिस्थितियों में जकड़े, एक भावुक कमर्ठ व्यक्ति और जीवन के कोमल कठोर, गोचर अगोचर, लौकिक-अलौकिक पक्षों को जीवन्त करता महाकाव्य है। डॉ. बच्चन की कविताओं का हुआ पाठ
समारोह में प्रोफेसर सौभाग्य वर्धन ने अमिताभ की डॉ. बच्चन की लिखी स्मृतियों को साझा किया। जिसमें क्या करुंगा तुम्हारी संवेदना लेकर का पाठ उन्होंने किया। इसके बाद कवयित्री नेहा ने डॉ. बच्चन की कविता कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, कवि कृष्ण कांत ने उनकी कविता पथ की पहचान-पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले, कवि शमशेर ने कविता अग्निपथ और आत्मपरिचय तो कवि वीरेन्द्र शर्मा ने मधुशाला से मुक्ति नहीं चाहता, आगे बढ़कर छीनूं औरों की हाला, मुसलमान और हिन्दू हैं दो, एक मगर, उनका प्याला और अन्य कविताएं पेश की।