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गुम हुई ज्वैलरी का क्लेम न देने पर इंश्योरेंस कंपनी भरेगी हर्जाना

गुम हुई ज्वैलरी का इंश्योरेंस क्लेम न देना न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को मंहगा पड़ गया। कंज्यूमर फोरम ने सेक्टर-17 स्थित उक्त इंश्योरेंस कंपनी के ब्रांच ऑफिस द्वारा शिकायतकर्ता को 3033

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 11:13 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 11:13 PM (IST)
गुम हुई ज्वैलरी का क्लेम न देने पर इंश्योरेंस कंपनी भरेगी हर्जाना
गुम हुई ज्वैलरी का क्लेम न देने पर इंश्योरेंस कंपनी भरेगी हर्जाना

जागरण संवाददता, चंडीगढ़ : गुम हुई ज्वैलरी का इंश्योरेंस क्लेम न देना न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को मंहगा पड़ गया। कंज्यूमर फोरम ने सेक्टर-17 स्थित उक्त इंश्योरेंस कंपनी के ब्रांच ऑफिस द्वारा शिकायतकर्ता को 3,03,388 रुपये नौ प्रतिशत ब्याज के साथ देने को कहा है। इसके साथ ही शिकायतकर्ता को इस दौरान हुई मानसिक परेशानी के लिए दस हजार रुपये मुआवजा राशि और सात हजार रुपये केस खर्च भी देना होगा।

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सेक्टर-48 निवासी वीणा बेदी ने उक्त कंपनी से 19 नवंबर, 2014 से 18 नवंबर, 2015 के लिए हाउस होल्डर इंश्योरेंस पॉलिसी ली थी। इस पॉलिसी के तहत घर की बिल्डिग, फर्नीचर, कपड़े, किचन का सामान, इलेक्ट्रॉनिक आइटम और ज्वैलरी को शामिल किया गया था। दो अक्टूबर, 2015 को शिकायतकर्ता ज्वैलरी को साफ करवाने के लिए ज्वैलरी शॉप में जा रही थी। लेकिन रास्ते में ही उनके पर्स से ज्वैलरी कहीं गुम हो गया। इसकी शिकायत सेक्टर-31 थाने में दी और शिकायत में सोने का एक कड़ा, दो चूडियां, एक चेन, दो डायमंड की और एक सोने की अंगूठी और एक ईयर रिग गुम होने की बात लिखी। इसके बाद वीणा ने इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम मांगा तो उन्होंने ज्वैलरी के कुछ आइटमों का ही क्लेम देने की बात कही। इसके बाद परेशान होकर वीणा ने कंज्यूमर फोरम में इसकी शिकायत दी।

वहीं मामले की सुनवाई के दौरान इंश्योरेंस कंपनी ने कहा कि शिकायतकर्ता ने जो पॉलिसी ली थी उसमें ज्वैलरी की कुछ आइटम को ही कवर किया गया था। इसलिए कंपनी ने उन्हें 22,692 रुपये क्लेम देने की बात कही। वहीं शिकायतकर्ता ने कहा कि पॉलिसी लेते समय ज्वैलरी को कवर करने की बात कही गई थी और कंपनी द्वारा कोई ऐसा दस्तावेज नहीं दिया गया जिसमें यह लिखा गया हो कि ज्वैलरी की कुछ आइटमों को ही कवर किया गया हो। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अब कंज्यूमर फोरम ने अपना यह फैसला सुनाया है।


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