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12वीं की विवादित इतिहास की किताब वापस लेने की सिफारिश

पंजाब शिक्षा बोर्ड की 12वीं की इतिहास की पुस्‍तक की जांच के लिए गठित कमेटी ने इसे वापस लेने की सिफारिश की है। कमेटी ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट सरकार को दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 09:24 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jun 2018 09:24 AM (IST)
12वीं की विवादित इतिहास की किताब वापस लेने की सिफारिश
12वीं की विवादित इतिहास की किताब वापस लेने की सिफारिश

चंडीगढ़, [निर्मल सिंह मानशाहिया]। 12वींं कक्षा की इतिहास की नई किताब में से सिख इतिहास हटाने के मामले की जांच के लिए पंजाब सरकार की ओर से बनाई गई छह सदस्यों वाली कमेटी ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में विवादित किताब वापस लेने की सिफारिश की है। कमेटी ने पुरानी किताब को ही इस चालू शैक्षिक सत्र के लिए लगाने के लिए कहा गया है। इतिहासकार प्रोफेसर किरपाल सिंह ने कहा कि किताब सही नहीं है। इसमें इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। जांच कमेटी की मीटिंग इसी महीने होगी, जिसमें और गहराई से तथ्यों की जांच-पड़ताल की जाएगी।

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जांच कमेटी ने कहा-इतिहास से छेड़छाड़ व तथ्य मिटाने की कोशिश, अब पुरानी किताब से ही होगी पढ़ाई

इस के बाद जांच समिति मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपेगी। इसी तरह प्रोफेसर किरपाल सिंह ने कहा कि नई किताब बनाने वाली समिति ने इतिहास के तथ्यों को अनदेखा करने का काम किया, जो सही नहीं है।

सिर्फ 22 पन्नों में समेटा पंजाब का इतिहास

जांच कमेटी के अनुसार 280 पन्नों की किताब में पंजाब के इतिहास के बारे में सिर्फ 22 पन्ने ही शामिल किए गए हैं। नई किताब में महान नायक बाबा बंदा सिंह बहादुर पर सिर्फ पंक्तियां ही दर्ज हैं और पुरानी किताब में 27 विषय थे। अब सिर्फ 16 हैं। किताब तैयार करने वाले लेखक को इतिहास का अच्छा जानकार होना चाहिए। आंखें बंद कर किताब में से इतिहास को काट देना बुद्धिमत्ता नहीं था।

साजिश में नाकाम हुई सरकार, कार्रवाई करे : शिअद

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस की साजिश पूरी तरह नाकाम हो गई। शिक्षा विभाग ने इतिहास की नई किताब को रद कर सिख इतिहास और सभ्याचार के साथ की जा रही छेड़छाड़ की साजिश को विफल कर दिया। पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा दावा किया है कमेटी ने हमारे स्टैंड की पुष्टि कर दी है। समिति के फैसले से हमारी मौजूदा और आने वाली पीढ़ी सिख इतिहास को सही ढंग से जान सकेगी।

चीमा ने कहा कि इस फैसले से शिक्षा विभाग के उन उच्च अधिकारियों का पर्दाफाश हो गया है, जिन्होंने न सिर्फ इतनी बड़ी कोताही की थी, बल्कि झूठे बयान देकर अपने स्टैंड को सही ठहराया था। प्रो. किरपाल सिंह के नेतृत्व में कनी कमेटी ने हमारे दावे को सही साबित किया है।


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