मंदी की मार दिखी गमाडा पर, नहीं आया प्रॉपर्टी में बूम
अपनी साइट्स से करोड़ों कमाने के लिए हर माह के पहले दस दिन साइट्स की बोली करवानी शुरू की।
जागरण संवाददाता, मोहाली : 2019 में सरकारी विभागों पर भी मंदी का असर देखने को मिला। ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (गमाडा) ने इस साल अपनी साइट्स से करोड़ों कमाने के लिए हर माह के पहले दस दिन साइट्स की बोली करवानी शुरू की। लेकिन यह पांच माह भी नहीं चल पाई। गमाडा के अधिकारियों का दावा था कि हर माह साइट्स की नीलामी होने से मोहाली के आसपास के क्षेत्रों में प्रॉपर्टी में बूम आएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। गमाडा ही नहीं 2019 में कई सरकारी विभागों में उतार-चढ़ाव आते रहे। मोहाली में शुरू हो गया मेडिकल कॉलेज का काम
मोहाली शहर में इस साल मेडिकल कॉलेज बनने का काम शुरू हो गया। उम्मीद है कि नववर्ष में यहां पर कक्षाएं भी शुरू हो जाएंगी। वहीं, मोहाली शहर को जहां सरकारी अस्पताल मिला। वहीं, सरकारी अस्पताल को गांव स्नेटा शिफ्ट करने की भी योजना है। लेकिन इस पर साल में निर्णय नहीं हो सका। वहीं, अस्पताल में डॉक्टरों की कमी और कर्मचारियों की मांगों को लेकर हड़ताल सुर्खियों में रही। कर्मचारियों व अधिकारियों के आशियाने पर भी हुई चर्चा
प्रशासन की ओर से इस साल मोहाली के सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए सरकारी आशियाने देने पर भी चर्चा की गई। इसके लिए बाकायदा एक प्लान बनाकर राज्य सरकार को भेजा गया। शहर के पूर्व अपार्टमेंट्स में खाली पड़े फ्लैट सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को देने का प्रपोजल बनाया गया। सरकारी विभागों व निजी संस्थानों को जमीन देने का रास्ता साफ
मोहाली के गांवों की पंचायतों में खाली पड़ी जमीन को लेकर डिजिटल मैपिग का काम भी इस साल शुरू हुआ। इस जमीन को उन मल्टीनेशनल कंपनियों व सरकारी विभागों को दिया जाएगा जोकि जहां पर अपने कार्यालय खोलना चाहती हैं। नववर्ष में वर्किग वुमन हॉस्टल, जेल व कई विभाग मोहाली में जगह लेकर अपने विभागों को जिले में शिफ्ट कर सकते हैं। धरने-प्रदर्शन से होते रहे लोग परेशान
सारा साल मोहाली में रैली मैदान को लेकर जगह देने का मसला छाया रहा। लेकिन जगह फाइनल नहीं हो सकी। वहीं, पूरा वर्ष अध्यापकों, किसान यूनियनों व निजी संस्थाओं की ओर से दिए गए धरने-प्रदर्शनों से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। सर्दी में भी पानी की रही किल्लत
मोहाली में सर्दी में भी लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ा। इस साल सर्दी के मौसम में भी ऊपरी मंजिलों पर पानी नहीं चढ़ा। कजौली वाटर वर्क्स में रिपेयरिंग के चलते आखिरी की तिमाही में छह बार शटडाउन किया गया। जिससे पानी की समस्या से लोगों को दो-चार होना पड़ा। बिजली की समस्या भी इसी तरह से रही। मोहाली शहर ने इस साल कई उतार-चढ़ाव देखे।