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राजपूत पिछड़े वर्ग में रहेंगे या नहीं कैबिनेट करेगी फैसला

-बैकवर्ड क्लास के मुद्दे पर दो हिस्सों में बंटी राजपूत बिरादरी -राजपूत वेलफेयर बोर्ड फैसले

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Dec 2017 07:38 PM (IST)Updated: Tue, 26 Dec 2017 07:38 PM (IST)
राजपूत पिछड़े वर्ग में रहेंगे या नहीं कैबिनेट करेगी फैसला
राजपूत पिछड़े वर्ग में रहेंगे या नहीं कैबिनेट करेगी फैसला

-बैकवर्ड क्लास के मुद्दे पर दो हिस्सों में बंटी राजपूत बिरादरी

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-राजपूत वेलफेयर बोर्ड फैसले के खिलाफ, बादल को लिखा था पत्र

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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: पिछली अकाली भाजपा सरकार की ओर से सिख राजपूतों को दिया गया पिछड़े वर्ग का स्टेटस कैप्टन सरकार वापस लेगी या नहीं, इसका फैसला बुधवार को होने वाली कैबिनेट की मीटिंग में लिया जा सकता है। 5 दिसंबर, 2016 को हुई कैबिनेट की मीटिंग में अकाली भाजपा सरकार ने सिख राजपूतों को पिछड़े वर्ग का स्टेटस देने को यह कहते हुए मंजूरी दी थी कि यह इस समुदाय की बहुत पुरानी मांग है। हालांकि, राजपूत बिरादरी ने ही इसका विरोध भी किया और इसे वापस लेने की मांग की। चूंकि तब चुनाव सिर पर थे, इसलिए राजपूत वोटों को भुनाने के लिए तब की सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया।

माना जा रहा है कि अब फिर से इस पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि पंजाब राजपूत वेलफेयर बोर्ड ने भी तब के सीएम प्रकाश सिंह बादल और डिप्टी सीएम सुखबीर बादल को यह फैसला वापस लेने की मांग की थी। पंजाब विधानसभा के मौजूदा स्पीकर राणा केपी सिंह भी राजपूतों को पिछड़े वर्ग में शामिल करने के खिलाफ हैं। जागरण के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि राजपूत कैसे बैकवर्ड क्लास हो सकते हैं। यह स्टेटस उन्हें नहीं दिया जाना चाहिए।

दरअसल सरकार के सामने अब राजपूतों के दो वर्ग खड़े हो गए हैं। इनमें से ज्यादा बड़ा वर्ग राजपूतों को पिछड़े वर्ग का स्टेटस देने के खिलाफ है। पिछले साल भी पंजाब राजपूत वेलफेयर बोर्ड के चेयरमैन कैप्टन आरएस पठानिया ने इसे बिरादरी का अपमान करने के समान बताते हुए कहा था कि सरकार इस फैसले को वापस ले। उन्होंने तब के चीफ मिनिस्टर प्रकाश सिंह बादल और डिप्टी सीएम सुखबीर बादल को लिखे एक पत्र में कहा कि सरकार ने यह फैसला लेते समय उन्हें विश्वास में नहीं लिया। उन्होंने कहा कि राजपूतों का एक गौरवमयी इतिहास है और उन्होंने राजपूत वर्षो तक देश के शासक रहे हैं। वे कैसे पिछड़े वर्ग से हो सकते हैं। अपने पत्र में उन्होंने लिखा था कि यह समुदाय की कभी भी मांग नहीं रही, संभव है कि कुछ लोगों ने यह निजी तौर पर मांग रखी हो।

एजेंडे में शामिल हो सकता है मामला

अब कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट को इस संबंधी फैसला करना है कि राजपूतों को बीसी का स्टेटस बहाल रहना चाहिए या पूर्व सरकार की ओर से किए गए फैसला को पलट देना चाहिए। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह फैसला कैबिनेट पर छोड़ा है। संभव है कि बुधवार को होने वाली कैबिनेट की मीटिंग में यह एजेंडे के रूप में आए।


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