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संगीत और गायकी का कोई मजहब नहीं, यह दोनों खुदा से जुड़े हैं: नीले खां

कव्वाली कहीं खो नहीं रही है। इसका जमाना हमेशा से रहा है। मुझे आज भी कई ऑफर आते हैं इसे गाने के। मुझे नहीं लगता कि इसको सुनने वाले कभी कम होंगे।

By Edited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 11:46 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 11:49 PM (IST)
संगीत और गायकी का कोई मजहब नहीं, यह दोनों खुदा से जुड़े हैं: नीले खां
संगीत और गायकी का कोई मजहब नहीं, यह दोनों खुदा से जुड़े हैं: नीले खां

चंडीगढ़, [शंकर सिंह]। कव्वाली कहीं खो नहीं रही है। इसका जमाना हमेशा से रहा है। मुझे आज भी कई ऑफर आते हैं इसे गाने के। मुझे नहीं लगता कि इसको सुनने वाले कभी कम होंगे। अगर होते तो ये कई पी‍ढ़‍ियों से नहीं चल रही होती। कव्वाल नीले खां कुछ इन्हीं शब्दों में कव्वाली के जमाने पर अपनी राय रखते हैं। वीरवार को वह श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश उत्सव के उपलक्ष्य में पंजाब कला भवन-16 में प्रस्तुति देने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने गायकी और कव्वाली पर बात की। उन्होंने कहा कि कव्वाली का अपना रस है, ऐसे में जैसे हर गायकी इन दिनों सुनी जाती है वैसे ही कव्वाली के भी चाहने वाले हैं। हाल ही में पंजाब एक बड़े पुलिस ऑफिसर ने अपने घर में मुझे कव्वाली की प्रस्तुति के लिए बुलाया। वहां देखा कि हर वर्ग के लोग पहुंचे हैं, उन्हें डीजे के गीत नहीं, बल्कि कव्वाली सुननी है। ऐसे में मुझे कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि कव्वाली का जमाना कहीं खो गया है। न ही मैं कव्वाली को एक धर्म तक सीमित मानता हूं। मैं तो गुरु के शबद भी कव्वाली के रूप में उनका वर्णन भी कव्वाली के रूप में गाता हूं, मेरा मानना है कि संगीत और गायकी का कोई मजहब नहीं ये सीधा खुदा से जुड़ी है।

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खुद केजरीवाल ने पंसद किया गुरबाणी गायन

खां ने बताया कि उन्होंने हाल ही में पंजाबी साहित्य अकादमी दिल्ली में आयोजित गुरुबाणी गायन कार्यक्रम में गुरबाणी की प्रस्तुति दी। यहां दिल्ली के चीफ मिनिस्टर अरविंद केजरीवाल भी पहुंचे। उन्होंने मेरी गुरुबाणी सुनी। अंत में उठकर मेरे पास और मेरी गायन शैली की तारीफ की। मेरे अनुसार कव्वाली को ऐसा प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए। आजकल के युवा लाइव से ज्यादा डीजे परफॉर्मेंस बेशक पसंद करते हों, मगर फिर भी कव्वाली को लाइव सुनने का अपना ही आनंद है।

रंग को देखकर पड़ा नाम

नीले खां खां ने कहा कि उनके नाम के पीछे भी एक कहानी है। दरअसल मेरा रंग शुरू से ही गहरा था। ऐसे में घर के बुजुर्गों ने मुझे नीला नाम दे दिया। कई लोगों ने इसके भी खूबसूरत मतलब निकाले। मसलन एक विद्वान ने कहा कि नीले खां मतलब नीला आसमान, और कवि सुरजीत पात्तर ने तो ये भी कहा कि मेरी आवाज रब तक पहुंचती है। ऐसे में मेरा और ऊपर का कोई तो जुड़ाव है, इसिलए मेरा नाम भी नीले ही रखा गया।

टीवी शो में रहता हूं व्यस्त

नीले खां ने कहा कि उन्हें इन दिनों कई टीवी चैनल से रियलिटी शो में जज के रूप में आने के ऑफर आते हैं। हाल ही में राइ¨जग स्टार और कई शो में वह गए। उन्होंने कहा कि रियलिटी शो इन दिनों गायकों के अच्छी पहचान दी है। साथ ही युवा प्रतिभा को भी आगे आने में मदद मिली है।

अमृता प्रीतम का भी जिक्र

पंजाब कला भवन-16 में आयोजित श्री गुरु नानक देव जी के 550 प्रकाश उत्सव पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि सुरजीत पात्तर ने की। उन्होंने कार्यक्रम में गुरु नानक का वर्णन विभिन्न कवियों की कविताओं से किया। उन्होंने अमृता प्रतीम और शिव कुमार बटालवी की कविताओं में भी गुरु नानक के जिक्र की बात की। कार्यक्रम में जम्मू के गायक देव दिलदार और जीएस पीटर ने भी अपनी मधुर आवाज में गुरु की बाणी को गाया।

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