शहर के कई स्कूलों का रद होगा माइनोरिटी स्टेटस!
विवेक हाई की तर्ज पर शहर के अन्य कई स्कूलों का माइनोरिटी स्टेटस रद हो सकता है।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : विवेक हाई की तर्ज पर शहर के अन्य कई स्कूलों का माइनोरिटी स्टेटस रद हो सकता है। उल्लेखनीय है कि विवेक हाई स्कूल ने 2012 में चंडीगढ़ प्रशासन को बाईपास करके माइनोरिटी कमीशन से माइनोरिटी स्टेटस के लिए अप्लाई कर दिया था। 2016 में उसे स्टेटस मिल भी गया, लेकिन उसे शिक्षा विभाग की तरफ से हाईकोर्ट में चैलेंज कर दिया गया। जिसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए स्कूल का माइनोरिटी स्टेटस रद कर दिया था। अब विवेक हाई स्कूल को राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत 15 प्रतिशत स्टूडेंट्स को ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत एडमिशन देना होगा। यदि स्कूल ऐसा नहीं करता है, तो उसकी मान्यता को सीबीएसई भी रद कर सकता है और इसके साथ ही संपदा विभाग उससे जमीन भी वापस ले सकता है। धार्मिक ट्रस्ट द्वारा चलाए जाने वाले स्कूल को मिलता है स्टेटस
माइनोरिटी स्टेटस हासिल करने की पहली शर्त होती है कि स्कूल को कोई धार्मिक ट्रस्ट चला रहा हो। जैसे कोई चर्च, गुरुद्वारा या फिर मस्जिद ट्रस्ट। व्यक्तिगत आधार पर किसी भी स्कूल को माइनोरिटी का दर्जा नहीं मिल सकता। विवेक हाई स्कूल ने पुराने ट्रस्ट के आधार पर ईडब्ल्यूएस कोटे से बचने के लिए माइनोरिटी स्टेटस का सहारा लिया। इसी प्रकार से सेंट कबीर, सेंट जोसेफ सहित विभिन्न स्कूलों ने व्यक्तिगत आधार पर माइनोरिटी स्टेटस हासिल किया है। स्कूल की स्थापना के मौके पर माइनोरिटी का नहीं मिलता विवरण
विवेक हाई स्कूल की माइनोरिटी रद होने का एक अहम कारण स्थापना के मौके पर स्टेटस घोषित नहीं करना था। 1984 में भगवंत सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट की तरफ से स्कूल की स्थापना की गई थी। उसके बाद 1989 को जमीन के लिए इस्टेट ऑफिस को अप्लाई किया था। स्थापना और जमीन एक्वायर करने के मौके पर माइनोरिटी स्टेटस का कोई विवरण नहीं था। वर्ष 2005 में पहले चंडीगढ़ प्रशासन ने सभी प्राइवेट स्कूलों को 15 प्रतिशत सीटों को आर्थिक आधार पर भरने के निर्देश जारी किए, ठीक उसी समय प्राइवेट स्कूलों की यूनियन बनी और कई स्कूलों ने माइनोरिटी स्टेटस के लिए अप्लाई कर दिया। लैंड यूज एमओयू में माइनोरिटी स्टेटस का अंकित होना अनिवार्य
माइनोरिटी स्टेटस की एक अहम शर्त है कि जिस समय स्कूल जमीन एक्वायर करने के लिए संपदा कार्यालय में अप्लाई करता है, तो उस समय उसे एक एमओयू साइन करना पड़ता है। जिसमें साफ माइनोरिटी स्टेटस के बारे में अंकित होना अनिवार्य है। 2000 के बाद माइनोरिटी पाने वाले किसी भी स्कूल ने भूमि अधिग्रहण के मौके पर इस तरह की कोई शर्त या जानकारी साझा नहीं की है। राइट टू एजुकेशन एक्ट से बचने के लिए अपनाया स्टेटस
शिक्षा विभाग की ओर से 2005 में निर्देश देने के बाद स्कूलों ने खुद को माइनोरिटी स्टेटस घोषित करने की कवायद शुरू कर दी थी। लेकिन उस समय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर दिए कि माइनोरिटी स्टेटस के लिए स्टेट गवर्नमेंट से मंजूरी जरूरी है। कुछ स्कूलों ने मंजूरी के लिए यूटी शिक्षा विभाग को अप्लाई भी किया, लेकिन कुछ ने विभाग को बाईपास करके सीधे माइनोरिटी कमीशन से स्टेटस के लिए अप्लाई कर दिया। इन स्कूलों के स्टेटस पर खतरा
1. सेंट कबीर स्कूल सेक्टर-26
2.सेंट जोसेफ स्कूल सेक्टर-44
3.न्यू पब्लिक स्कूल सेक्टर-18
4.किड्स आर किड्स सेक्टर-38
5.अजीत कर्मसिंह इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर-40
6.माउंट कॉर्मल स्कूल सेक्टर-47
7.सॉपिंस स्कूल सेक्टर-32
8.रियान इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर-49 माइनोरिटी स्टेटस पाने के लिए शिक्षा और संपदा विभाग की मंजूरी जरूरी है। उसके बाद ही माइनोरिटी कमीशन किसी को स्टेटस दे सकता है। शहर के ज्यादातर स्कूलों ने बिना शिक्षा और संपदा विभाग की मंजूरी के स्टेटस हासिल किया है, जो पूरी तरह से गलत है।
चंचल सिंह, पूर्व डिप्टी डायरेक्टर, स्कूल एजुकेशन