पंजाब के मंत्रियों की परेशानी, जो आरोप दूसरों पर लगाते थे अब खुद को पड़ रहे भारी
पंजाब के मंत्री परेशान हैं और इसका कारण है गुंडा टैक्स और अवैध खनन को लेकर पार्टी के नेताआें पर लग रहे आरोप। यह मामला कैबिनेट की बैठक में गरमाया रहा।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के मंत्री गुंडा टैक्स और अवैध खनन के मुद्दों पर लग रहे आरोपों से परेशान हैं। ये मामले कैबिनेट की बैठक में छाये रहे और माहौल काफी गरम रहा। मंत्रियों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि जिस गुंडा टैक्स और अवैध खनन को खत्म करने को लेकर कांग्रेस सत्ता में आई आज वे सारे आरोप कांग्रेसी विधायकों के खिलाफ लग रहे हैं।
कैबिनेट की बैठक में गरमाया गुंडा टैक्स व अवैध खनन का मुद्दा
बठिंडा के तलवंडी साबो में रिफाइनरी के बाहर गुंडा टैक्स वसूलने को लेकर भी मामला उठा। यहां तक कि वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल के नजदीकी रिश्तेदार पर भी गुंडा टैक्स वसूलने के आरोप लगे तो कैबिनेट में ही मनप्रीत ने इसकी जांच करवाने को कहा। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। ऐसी अवैध गतिविधियों में जो लोग भी दोषी पाए जाते हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
वित्तमंत्री के नजदीकी रिश्तेदार पर लगे गुंडा टैक्स वसूलने के आरोप
इस पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि गुंडा टैक्स और अवैध खनन को किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने डीजीपी को इस मामले में सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए। बाद में मीडिया को कैबिनेट की ब्रीफिंग के दौरान स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि कैबिनेट में गुंडा टैक्स को लेकर काफी चिंता व्यक्त की गई और खुद वित्त मंत्री ने ही इसकी जांच करवाने का मुद्दा भी उठाया।
सीएम ने कहा, गुंडा टैक्स व अवैध खनन कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे
बैठक में प्लानिंग बोर्ड को खत्म करते हुए इकोनॉमिक पालिसी व प्लानिंग बोर्ड के गठन को मंजूरी दे दी गई। ये दोनों इकाइयां राज्य में विकास के मद्देनजर बनाई जाने वाली नीतियों की समीक्षा के साथ-साथ उनको असरदार ढंग से लागू करवाने के लिए काम करेंगी और जहां कहीं संशोधन की जरूरत होगी, अपने सुझाव पेश करेंगी। यह फैसला केंद्र सरकार द्वारा योजना आयाेग को खत्म कर नीति आयोग की स्थापना के संदर्भ में लिया गया है।
खनन विभाग उद्योग से हुआ अलग, वित्तमंत्री ने जताया ऐतराज
कैबिनेट बैठक में कई फैसले लिए गए जिनमें सबसे अहम माइनिंग (खनन) विभाग को इंडस्ट्री विभाग से निकालकर स्वंतत्र तौर पर स्थापित करने का फैसला रहा। कैबिनेट में यह दावा किया गया कि इससे खजाने पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि सभी कर्मचारी जल स्रोत विभाग से लिए जाएंगे। इसके लिए 598 कर्मचारियों की जरूरत होगी, जबकि इस समय मात्र 36 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। इसको लेकर वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने ऐतराज जताया। उन्होंने कहा, जब एक महकमा पहले 36 कर्मचारियों से चल रहा है तो अब उसके लिए 600 कर्मचारियों की क्या जरूरत है?
वित्तमंत्री इस बात पर अड़ गए कि पहले इस बात का पता लगाया जाए कि आखिर विभाग में कितने कर्मचारियों की जरूरत है और इनका काम क्या होगा? सीएम ने इसके लिए एक कमेटी बनाने की मंजूरी दे दी। कैबिनेट ने कहा कि निर्माण सामग्री के तौर पर रेत व बजरी की बढ़ रही मांग के कारण खनन की गतिविधियां तेज हुई हैं जिससे कई समस्याएं भी खड़ी हो गई हैं। इससे निपटने के लिए इंडस्ट्री विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है।
खनन को अलग करने के पीछे तर्क
कैबिनेट की बैठक् में कहा गया कि खनन की गतिविधियों के साथ-साथ पर्यावरण, प्रशासकीय व कानूनी गतिविधियां बढ़ रही हैं। खनन सेक्टर राज्य के रेवेन्यू में योगदान दे रहा है। चूंकि ज्यादातर खनन गतिविधियां नदियों में चल रही हैं और इंडस्ट्री विभाग के पास इसको चलाने के लिए प्रोफेशनल लोगों की कमी है, इसलिए खनन को इंडस्ट्री से हटाकर अलग कर दिया है। जल स्रोत विभाग के पास नदियों पर काम करने वाले इंजीनियर मौजूद हैं।
दो हफ्ते पहले हो गया था तय
उल्लेखनीय है कि 2 फरवरी को मुख्य सचिव की अगुवाई में हुई मीटिंग में यह सुझाव दिया गया था कि खनन विभाग को उद्योग विभाग से अलग कर दिया जाए।
केंद्र में भी खनन विभाग अलग
मौजूदा समय में पंजाब सरकार के रूल्स ऑफ बिजनेस संबंधी नियमों के मुताबिक खनन का काम उद्योग और वाणिज्य विभाग के पास है, जबकि केंद्र सरकार में भी खनन विभाग अलग बना हुआ है और उसका उद्योग विभाग से कोई लेना देना नहीं है।
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कैबिनेट की बैठक में किए गए अहम फैसले-
-मुख्यमंत्री व मंत्री अपनी जेब से भरेंगे इनकम टैक्स।
-सरकारी जमीन से नाजायज कब्जे हटाने के लिए सब कमेटी का गठन।
-रबी सीजन के लिए यातायात, श्रम व ढुलाई संबंधी नीतियों को मंजूरी।
-प्लानिंग बोर्ड खत्म, अब बनेगा इकोनॉमिक पॉलिसी व प्लानिंग बोर्ड।
-सीमावर्ती क्षेत्र के लिए बनेगा अध्यापकों का कॉडर।
-पंजाब म्यूनिसिपल आउटडोर एडवरटाइज़मैंट पॉलिसी को मंजूरी।
-नई पर्यटन नीति पर मोहर।