SIT से कुंवर विजय प्रताप को हटाने से गर्माई पंजाब की सियासत, जानें कौन सा अहम मुद्दा फिर उठा
आइजी कुंवर विजय प्रताप सिंह को बेअदबी मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी से हटाए जाने के बाद पंजाब की राजनीति गर्मा गई है। इससे राज्य में बेअदबी का मामला फिर उठ गया है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब की राजनीति में श्री गुरुग्रंथ साहिब से बेअदबी मुद्दा फिर उठ गया है। चुनाव आयोग द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और गोलीकांड की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआइटी) के सदस्य आइजी कुंवर विजय प्रताप सिंह को हटाए जाने से पंजाब की सियासत गर्मा गई है और बेअदबी कांड फिर सुर्खियों में आ गया है। पिछले कुछ समय से यह मुद्दा हाशिए पर चला गया था।
-कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बनाया मुद्दा, अकाली दल को घेरने की कोशिश
बरगाड़ी में छह महीने तक पंथक ग्रुपों के सदस्यों के धरना देने के यह मुद्दा राजनीति का केंद्र बना रहा। पिछले विधानसभा चुनाव में भी यह राजनीतिक मुद्दाए लेकिन यह धरना लंबा हुआ तो कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार भी सकते में आ गई। उसके अपने ही मंत्रियों और विधायकों ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई का दबाव भी बनाया और दूसरी ओर सिख संगठन धरने को खत्म न करने को अड़े रहे। इसके बाद एसआइटी बनाई गई और मामला ठंडा पड़ने लगा।
छह महीने धरने के उठाए जाने के बाद से मुद्दा हाशिए पर चला गया था
दिसंबर 2018 के पहले हफ्ते में धरना समाप्त किए जाने के बाद से यह मुद्दा धीरे धीरे क्षीण हो रहा था। इससे शिरोमणि अकाली दल को लाभ होना भी शुरू हुआ। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता था कि पार्टी प्रधान सुखबीर बादल ने जिस विधानसभा हलके में रैली की, वहां उन्हें अच्छा खासा रिस्पांस मिला।
हालांकि इस बीच एसआइटी द्वारा की जा रही पूछताछ आदि से इस मुद्दे को हवा मिलती रही।
एसआइटी ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल, पूर्व डीजीपी सुमेध सैणी व फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार से भी पूछताछ की। इसी को आगे बढ़ाते हुए टीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह मिलने भी गई लेकिन यह मुलाकात नहीं हो सकी। एसआइटी डेरा मुखी को पूछताछ में शामिल करना चाहती है।
एसआइटी के सदस्य कुंवर विजय प्रताप सिंह के एक इंटरव्यू को आधार बनाकर शिरोमणि अकाली दल ने चुनाव आयोग से शिकायत कर दी और उसके बाद उन्हें एसआइटी से हटा दिया गया है। इससे बेअदबी का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुनाव आयोग को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने भी इस आदेश को वापस लेने की मांग को लेकर मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाकात की है। छह महीने तक इस मामले को लेकर धरने पर बैठे सिख संगठनों ने भी धमकी दी है कि यदि कुंवर विजय प्रताप को फिर से टीम में बहाल न किया गया तो वह अगले हफ्ते से संघर्ष शुरू कर देंगे।
चुनाव आयोग ने जिस तरह से आदेश जारी किया है उसे देखकर नहीं लगता कि आयोग अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा। ऐसे में अगर फिर से धरना प्रदर्शन शुरू हो गए तो शिरोमणि अकाली दल के लिए दिक्कत हो सकती है। पिछले चुनाव में भी डेरा सच्चा सौदा का समर्थन लेने के आराेप के कारण पार्टी से जुड़ा पंथक वोट बैंक खिसक गया।
दूसरी ओर, कुंवर विजय प्रताप के खिलाफ अपनी शिकायत को सुखबीर बादल सही बता रहे हैं। उनका कहना है कि कुंवर विजय प्रताप सिंह कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे थे। शिअद के वरिष्ठ नेता बिक्रम मजीठिया ने तो कहा कि दिया है कि चुनाव आयोग ने उन्हें ड्यूटी से फारिग कर दिया है, अच्छा है कि वह कांग्रेस से टिकट लेकर चुनाव लड़ लें।