विदेशों में जो बने पंजाबी भाषा की महक
ऐसे में एक भाषा को महकाना थोड़ा मुश्किल होता है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : अपने देश में भाषाएं कितनी ही हैं, ऐसे में एक भाषा को महकाना थोड़ा मुश्किल होता है। मगर इससे भी ज्यादा मुश्किल होता है एक भाषा को उस देश में बसाना, जो उसके लिए बिल्कुल परेदसी होती है। मगर लेखन के प्रति प्यारा ऐसा रहा कि पंजाबी भाषा की महक को अमेरिका और कैनेडा में भी इन्होंने खूब महकाया। पंजाबी कवयित्री सुरजीत सुखी और अजमेर रोड़े। जो शनिवार को पंजाब कला भवन-16 में कार्यक्रम तेरे सन्मुख में पहुंचे। सुरजीत ने कहा कि वह पंजाब की धरती से कैनेडा में जब पहुंचीं, तो एक लेखक के रूप में अपनी पहचान बनाना मुश्किल था। मगर पंजाबियों का प्यार ऐसा रहा कि मेरी कविताओं को वहां खूब पसंद किया गया। इतना ही नहीं, पंजाब में भी किताबें बिकी। ये मेरे लिए काफी सकारात्मक रहा। इसके बाद सुरजीत ने अपनी किताब से कुछ कविताएं पढ़ कर सुनाई। उनके बाद अजमेर ने अपने संघर्ष पर बात की। कुछ कारणों से गया था कैनेडा
उन्होंने कहा कि पंजाब से कुछ कारण से कैनेडा जाना हुआ। वहां पंजाबी आबादी ज्यादा थी, मगर अपने देश को छोड़ दूसरे देश में बस जाना और वहां अपनी जड़ों को बनाए रखना, इसने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया। इसी ने मुझे कई विषय दिए, जिस पर मैंने लिखा। एक लेखक जहां भी जाता है, उसके अनुभव और इमोशन वही रहते हैं। ऐसे में मैं जब अपनी धरती को छोड़ दूसरे देश में रहने गया तो इसने मुझे लिखने के लिए ज्यादा प्रेरित किया और मेरी लेखनी में वो दर्द और पंजाब के प्रति प्यार आया।