chandigarh में पंजाबी लागू करवाने के लिए तीनों प्रत्याशी एक मंच पर अाए
पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में पंजाबी मातृभाषा को सरकारी भाषा बनाने के लिए तीनों प्रत्याशी एक मंच पर आए।
चंडीगढ़, [जय सिंह छिब्बर]। चंडीगढ़ में पंजाबी को सरकारी भाषा बनाने की लड़ाई लड़ रहे लोगों ने लोकसभा चुनाव में उतरे तीनों प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियाें को एक मंच पर ला खड़ा किया। चंडीगढ़ पंजाबी मंच के बैनर तले कला भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में कांग्रेस प्रत्याशी पवन बंसल अाैर भाजपा की किरण खैर ने जहां पंजाबी होने का दम भरा, वहीं इसके लागू नहीं होने का ठीकरा अफसरशाही के सिर पर फोड़ा।
चंडीगढ़ को यूटी में रखने के हक में बंसल
पवन बंसल ने कहा कि वह चंडीगढ़ को यूटी में रखने के हक में हैं। इसे बसाते समय जो 60:40 अनुपात का समझौता हुआ था, उसको पूरी तरह से लागू करवाया जाएगा। लागू न होने के कारण सरकारी कर्मचारियों खासकर पुलिस की भर्ती में पंजाब से धक्का हो रहा है। बोले-मुझे पंजाबी होने पर गर्व है।
अनुवादक भर्ती करवाने की कोशिश करूंगीःकिरण
किरण खेर ने कहा कि उन्होंने पंजाबी लागू करवाने की बहुत कोशिशें की और बोर्डो पर पंजाबी भी लिखवाई। जब तक पंजाबी लागू नहीं होती तब तक यूएनओ की तर्ज पर कार्यालयों में अनुवादक भर्ती करवाने की कोशिश करूंगी। चंडीगढ़ में दूसरे राज्यों के अफसरों का पंजाबी से अंजान होना भी पंजाबी लागू न होने का कारण है।
दो साल में पंजाबी को लागू करवा देंगेःधवन
पूर्व मंत्री और आप के उम्मीदवार हरमोहन धवन ने कहा कि यदि वह जीतते हैं तो दो साल में पंजाबी को लागू करवा देंगे। यदि ऐसा नहीं होता तो वह इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि लोगों का सियासी लोगों से विश्वास उठ गया है क्योंकि नेताओं की कहनी पर कथनी में अंत्र आ गया है।
आप तीनों को भेजा था संसद, किसी ने कुछ नहीं किया
नेताओं के भाषण के बाद तरलोचन सिंह व अन्य लोगों ने कहा कि आप तीनों को उन लोगों ने समय-समय पर सदन में भेजने का मौका दिया, लेकिन आप सभी ने पंजाबी भाषा व पंजाबियों के हित में कुछ नहीं किया। उसके बाद चण्डीगढ़ पंजाबी मंच के देवी दयाल शर्मा, बाबा साधु सिंह, बाबा गुरदयाल सिंह, जोगिन्द्र सिंह व दीपक शर्मा ने उनको मांगपत्र भी सौंपा।
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