नोटबंदी से एेसे उड़े आशिकों के होश... फिल्म बताएगी हंसते-हंसते
पंजाबी फिल्म गोलक बुगनी बैंक ते बटुआ का ये दृश्य इन दिनों खासा चर्चा में है। ये पहली पंजाबी फिल्म है, जो नोटबंदी पर होगी।
जेएनएन, चंडीगढ़। दो आशिक घर से फरार हुए हैं, साथ ही ढेर सारा पैसा साथ में लिए हैं। जैसे ही होटल के रिसेप्शन में वे कमरा लेने पहुंचते हैं, तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्पीच शुरू हो जाती है कि भाइयों और बहनों, आज से 500-1000 के नोट बंद हो जाएंगे। ये सुन दोनों आशिकों के होश उड़ जाते हैं। पंजाबी फिल्म गोलक बुगनी बैंक ते बटुआ का ये दृश्य इन दिनों खासा चर्चा में है। ये पहली पंजाबी फिल्म है, जो नोटबंदी पर होगी।
फिल्म के निर्देशक और कलाकार होटल जेडब्ल्यू मैरियट-35 पहुंचे, तो सबसे पहला सवाल उनसे फिल्म के विषय पर ही हुआ। जिसपर फिल्म के निर्देशक क्षितिज चौधरी ने कहा कि हां, फिल्म नोटबंदी पर आधारित तो है, मगर इसमें केवल इस दौरान बनी स्थिति को हंसी मजाक में दिखाया गया है।
इसमें सरकार के इस फैसले को लेकर कोई कटाक्ष या विरोध नहीं किया गया। ये वही स्थिति को दिखाता है, जिसे हमने नोटबंदी के बाद अपने आस-पास देखा। फिल्म बनाने का विचार हमें नोटबंदी के बाद ही आया, हालांकि फिल्म को लिखने में थोड़ा वक्त लगा, क्योंकि हम चाहते थे कि फिल्म में ज्यादा से ज्यादा कॉमेडी हो। इसलिए इसे लिखने में थोड़ा समय लगा। फिल्म 13 अप्रैल को रिलीज होगी।
नोटबंदी को फिर से जीना मुश्किल था : हरीश वर्मा
फिल्म के एक्टर हरीश वर्मा ने कहा कि फिल्म हास्य से जुड़ी है। मेरा किरदार भागे हुए आशिक का है, यकीनन जो स्थिति उस दौरान सच में मेरे साथ घटी, उसे फिल्म में निभाना एक अलग अनुभव था। वो मुश्किल के दिन थे, जब जेब में पैसे ही नहीं थे। कोई एटीएम नहीं मिलता था। फिल्म में इसे दोबारा जीना काफी मुश्किल लग रहा था, शायद ये स्थिति हम दोबारा अपनी जिंदगी में न चाहें। एक लंबे अंतराल के बाद फिल्मी दुनिया में वापस आ रहा हूं, उम्मीद है कि जल्द ही और गंभीर मुद्दों के साथ सामने आऊंगा।
टाइपकास्ट किरदार होने में कोई बुराई नहीं : सिम्मी चाहल
सिम्मी चाहल फिल्म में पुराने समय की प्रेमिका का किरदार निभाएंगी। इससे पहले वह दाना पानी फिल्म में भी पुराने समय के किरदार को निभाती दिखेंगी। सिम्मी ने कहा कि अभिनय करना हमारा काम है, चाहे कोई भी किरदार हो और वो जितनी भी बार मिले, हमें करना ही होगा। इंडस्ट्री में आपको टाइपकास्ट जरूर कहा जाता है, मगर अगर आपका काम सब पसंद कर रहे हैं तो टाइपकास्ट होने में कोई बुराई नहीं।
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