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Coronavirus: पंजाब को लड़नी पड़ेगी अभी लंबी लड़ाई, अर्थ व्‍यवस्‍था को पटरी लाना नहीं आसान

पंजाब में काेरोना के कारण अर्थ व्‍यवस्‍था को तगडा़ झटका लगा है। राज्‍य को इस‍को लेकर काफी लंबी लड़़ाई लड़नी पड़ेगी। राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाना आसान नहीं होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 04 May 2020 10:32 AM (IST)Updated: Mon, 04 May 2020 10:32 AM (IST)
Coronavirus: पंजाब को लड़नी पड़ेगी अभी लंबी लड़ाई, अर्थ व्‍यवस्‍था को पटरी लाना नहीं आसान
Coronavirus: पंजाब को लड़नी पड़ेगी अभी लंबी लड़ाई, अर्थ व्‍यवस्‍था को पटरी लाना नहीं आसान

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। कोरोना वायरस से पीडि़त मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही अर्थव्यवस्था चलाने के पक्ष में हों, लेकिन पंजाब को अभी लंबी लड़ाई लडऩी होगी। श्रमिकों के पलायन का असर केवल इंडस्ट्री नहीं बल्कि व्यापारिक गतिविधियों पर भी पडऩा तय है। असली लड़ाई जून के बाद शुरू होगी जब कोरोना को लेकर स्थिति स्पष्ट होने लगेगी। कोरोना से पहले से खराब की अर्थ व्‍यवस्‍था को तगड़ा झटका लगा है। मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और राज्‍य के वित्‍तमंत्री मनप्रीत सिेंह के लिए राज्‍य की अर्थ व्‍यवस्‍था को पटरी पर लाना आसान नहीं होगा।

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 उद्योग ही नहीं व्यापारिक गतिविधियों पर भी पड़ेगा श्रमिकों की कमी का असर

पंजाब में बढ़ते कोरोना के मामलों को लेकर श्रमिकों में डर है। हालांकि जानकार मानते हैं कि अभी अपने घर जाने वालों में ज्यादा संख्या अकुशल श्रमिकों की है। इंडस्ट्री और टैक्स मामलों के सलाहकार अश्विनी गुप्ता की मानें तो ऐसा नहीं है कि श्रमिक पहली बार घर जा रहे हैैं। हर साल गर्मियों में यह सामान्य प्रक्रिया है। अकुशल श्रमिक इस समय वापस जाता है, लेकिन जून-जुलाई में वापस आता है।

अपने घर जाने वाले श्रमिक यदि जून-जुलाई में नहीं लौटे तो बढ़ेगी मुश्किल

असली चिंता तब होगी जब जून-जुलाई में श्रमिक वापस नहीं आएंगे। चाहे इंडस्ट्री हो या व्यापारिक क्षेत्र, कुशल के साथ-साथ अकुशल श्रमिकों की भी आवश्यकता पड़ती है। कुशल श्रमिक इंडस्ट्री के रोल पर होता है, लेकिन कई ऐसे काम हैं जो अकुशल श्रमिक करता है। कोरोना का डर कब तक रहता है, यह देखने वाला होगा।

पंजाब में लगभग 2.5 लाख इंडस्ट्री है जिसमें 12 लाख के आसपास काम करने वाले हैैं। मार्च से अभी तक तकरीबन 50 हजार श्रमिक पलायन कर चुके हैं, जबकि लाखों घर जाने के लिए तैयार बैठे हैं। तीन मई तक 6.10 लाख लोग अपने प्रदेश जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैैं।

50 हजार श्रमिक पलायन कर चुके हैं, आने वाले दिनों में लाखों और जाएंगे

अश्विनी कहते हैं कि अगर बाजार को देखें तो अप्रैल और मई हमेशा ही थोड़ा ढीला रहता है। इसके पीछे कई कारण होते हैं। मुख्य रूप से इनकम टैक्स एक बड़ा कारण होता है। मार्च के अंत में वेतनभोगी अपना इनकम टैक्स जमा करवाता है। इसी माह में स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिस कारण बाजार अन्य माह के मुकाबले थोड़ा ढीला रहता है। मई के अंत में व्यापारिक व औद्योगिक गतिविधियां बढऩी शुरू हो जाती हैं। इसलिए असली चुनौती तो अब आनी है।

उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था के लिए 40 दिन कोई छोटा समय नहीं होता। यह कहना गलत नहीं कि पंजाब की इंडस्ट्री में प्रवासी श्रमिकों की भूमिका अहम है। अब इंडस्ट्री व सरकार दोनों के सामने चुनौती होगी कि वह कितनी जल्दी श्रमिकों का विश्वास जीत पाती है। हालांकि बड़ी इंडस्ट्री में इसका असर न के बाहर ही हो सकता है, लेकिन असली असर लघु व कुटीर उद्योग पर देखने को मिल सकता है।

क्रिड के अर्थशास्त्री प्रो. रंजीत सिंह घुम्मन कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद ज्यादा पलायन नहीं हुआ है, लेकिन अब इसकी संभावना बढ़ गई है। इसका असर हरेक क्षेत्र में देखने को मिलेगा। यह अलग बात है कि उसकी मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है।

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