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पंजाब स्टेट टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट के फॉर्मेट को हाई कोर्ट में चुनौती

पीएसटीईटी पाठ्यक्रम में हिंदी और संस्कृत भाषा को शामिल नहीं किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस परीक्षा के फॉर्मेट को चुनौती दी गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 01 Jan 2018 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jan 2018 07:54 PM (IST)
पंजाब स्टेट टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट के फॉर्मेट को हाई कोर्ट में चुनौती
पंजाब स्टेट टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट के फॉर्मेट को हाई कोर्ट में चुनौती

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब स्टेट टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (पीएसटीईटी) पाठ्यक्रम में हिंदी और संस्कृत भाषा को शामिल नहीं किए जाने के खिलाफ इन विषयों के आवेदकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस परीक्षा के फॉर्मेट को ही चुनौती दे दी है । याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल की वैकेशन बेंच ने पंजाब के शिक्षा विभाग सहित पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड (पीएसईबी) और स्टेट काउंसिल ऑफ़ एजुकेशन एंड रिसर्च (एससीईआरटी) को 12 जनवरी के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है।

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हाई कोर्ट ने यह नोटिस इस मामले को लेकर सुरेश कुमार सहित अन्य आठ आवेदकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है।  दायर याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया है कि यह सभी याचिकाकर्ता हिंदी और संस्कृत के छात्र रहे हैं । इन्होंने ग्रेजुएशन और बीएड भी इन्हीं भाषाओं में किया है, लेकिन पीएसटीईटी का फॉर्मेट ही ऐसा है कि इन्हें अपनी भाषा जिसके पढ़ाए जाने के लिए इनकी नियुक्ति होनी है उस पर कोई प्रश्न ही नहीं पूछा जाता है।

परीक्षा के फॉर्मेट के तहत पहली से पांचवीं कक्षा के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पेपर-1  और छठी से आठवीं कक्षा के लिए पेपर-2 लिया जाता है।  इस मामले में पेपर-2 के फॉर्मेट को चुनौती देते हुए बताया गया है कि इसमें साइंस और गणित के विषय के अलावा सोशल साइंस के विषय के लिए अंग्रेजी और पंजाबी भाषा को माध्यम के तौर पर अनिवार्य किया गया है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वह पंजाबी हैं और उनका परीक्षा का माध्यम भी पंजाबी ही है  लेकिन इस परीक्षा में हिंदी और संस्कृत को भी शामिल किया जाना चाहिए। सोशल साइंस की परीक्षा में हिंदी और संस्कृत के प्रश्न ही नहीं होते हैं।  ऐसे में जिस विषय के वह विशेषज्ञ हैं और जिस भाषा को पढ़ाए जाने के लिए भी शिक्षक के तौर पर उनकी नियुक्ति होनी है  उस भाषा के बारे में सवाल नहीं पूछे जाने के चलते उनकी भाषा के बजाय अन्य विषयों के शिक्षकों का चयन कर लिया जाता है।

यही कारण है की राज्य के स्कूलों में संस्कृत और हिंदी के शिक्षकों की कमी है। ऐसे में इस परीक्षा के फॉर्मेट में बदलाव बेहद ही जरूरी है, ताकि उन्हें अपने विषय के बारे में जवाब देने का अवसर दिया जाए। याचिकाकर्ताओं ने इस फॉर्मेट में हिंदी और संस्कृत भाषा को शामिल किए जाने की हाई कोर्ट से मांग की है। हाई कोर्ट ने याचिका पर पंजाब सरकार सहित सभी प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है।

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