बेअदबी कांड पर फिर गरमाई राजनीति, कैप्टन की बादल को 'क्लीन चिट' से सियासी भूचाल
श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के एक बयान ने सियासी भूचाल ला दिया है। स्थिति बिगड़ती देख सरकार डैमेज कंट्रोल पर उतर आई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के एक बयान ने सियासी भूचाल ला दिया है। स्थिति बिगड़ती देख सरकार डैमेज कंट्रोल पर उतर आई है। एक अखबार को दिए साक्षात्कार में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अंग (पन्ने) फाड़नेे में बादलों की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन उनकी बेअदबी कांड में शाामूलियत को खारिज नहीं किया जा सकता। इसे प्रकाश सिंह बादल को क्लीन चिट के रूप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि 12 अक्टूबर 2015 को फरीदकोट के बरगाड़ी गांव में गुरुग्रंथ साहिब के अंग (पन्ने) फाड़कर गलियों में फेंक दिए गए। इसके विरोध में सिखों ने प्रदर्शन किया था। 14 अक्टूबर 2015 को कोटकपूरा के बहिबलकलां में पुलिस व सिख प्रदर्शनकारियों में झड़प हो गई। पुलिस ने फायरिंग कर दी और दो युवकों की मौत हो गई। कई लोग घायल हो गए। आरोप है कि गोली चलाने के आदेश तत्कालीन सीएम प्रकाश सिंह बादल व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल ने दिए थे।
मैंने नहीं दी कोई क्लीन चिट: कैप्टन
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट किया कि उन्होंने बादलों को क्लीन चिट नहीं दी। दोनों बादल पवित्र ग्रंथ की बेअदबी का घिनौना जुर्म करने वाले व्यक्ति जितने ही जिम्मेदार हैं, क्योंकि इससे राज्य में एक के बाद एक घटना घटी। बादल अपने राज में बेअदबी की घटनाओं को रोकने में नाकाम रहे, बल्कि आरोपितों को साफ बरी होकर निकलने की इजाजत दी।
मुख्यमंत्री रहते हुए यदि आज राज्य में अमन-कानून की व्यवस्था बिगड़ती है, तो क्या इसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं? यदि जुर्म एकदम बढ़ जाएं तो क्या लोग और मीडिया मुझे दोष नहीं देगा? चुनाव में समर्थन जुटाने के लिए बादल का डेरे के साथ खड़े रहने का फैसला सियासी कदम था। इससे आपराधिक कार्रवाई ने सिर उठाया, जबकि वह सीधे तौर पर बेशक जिम्मेवार न हों लेकिन उनकी जवाबदेही को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
किसी दबाव में काम कर रहे कैप्टन: बाजवा
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि साफ लग रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह किसी दबाव में काम कर रहे हैं। पर्दे के पीछे उन्हें कोई व्यक्ति ऐसा करने के लिए कह रहा है। अमरिंदर पहले बादलों के पक्ष में उतरे, अब सफाई दे रहे हैं। इससे कांग्रेस को हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। इससे कैप्टन व बादल की मिलीभगत वाली आशंकाओं को और बल मिलेगा। अमरिंदर सिंह ने यह कहकर विधानसभा के चारों उपचुनाव में हार मान ली है कि यह सीटें कांग्रेस से संबंधित नहीं हैं। इससे कांग्रेसी नेताओं का मनोबल गिरेगा।
कैप्टन-बादल ने मिलकर रची साजिश: बीर दविंदर
पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविंदर सिंह ने कहा कि अमरिंदर सिंह के बयान से कैप्टन व बादल परिवार की मिलीभगत साफ हो गई है। जब एसआइटी अपना काम कर रही है, तो ऐसे में मुख्यमंत्री का ऐसा बयान देने का क्या तुक है। मुझे लगता है कि कैप्टन और प्रकाश सिंह बादल ने मिलकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पवित्रता के खिलाफ एक बड़ी साजिश की है। इससे समूची सिख कौम के दिलों को आघात पहुंचा है। कैप्टन के बयान के बाद अब एसआइटी की जांच का भी कोई मतलब नहीं रह जाता है।
बादल-कैप्टन परिवार में मिलीभगत
पंजाब एकता पार्टी के अध्यक्ष सुखपाल खैहरा ने कहा कि कैप्टन के बयान से साफ जाहिर है कि बादल परिवार और कैप्टन परिवार में आपसी मिलीभगत है।
बेअदबी की जांच को प्रभावित करना अपने आप में जुर्म: जाखड़
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि बेअदबी की जांच को प्रभावित करना अपने आप में जुर्म है। उनका इशारा बादलों की तरफ था। जाखड़ ने कहा कि बेअदबी कांड को लेकर लोगों ने दोषियों को चिन्हित किया है, लेकिन लोगों के कहने से सजा नहीं होती है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बादलों को सजा नहीं देनी है। सजा कोर्ट ने देनी है। मुख्यमंत्री की बात को पूरे संदर्भ में देखा जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वोट और नोट के लिए सुखबीर ने डेरा सिरसा मुखी के साथ मुंबई में बैठक की।
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