पंजाब पुलिस के कर्मचारी को CBI ने बहन के घर से दबोचा, Fake Encounter Case में 20 साल से था फरार, बदल रहा था ठिकाने
सीबीआई ने दो दशक से फरार चल रहे पंजाब पुलिस के कर्मचारी कश्मीर सिंह को गिरफ्तार किया। कश्मीर सिंह एक फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपित था और मोगा में अपनी बहन के घर छिपा हुआ था। उसे 2005 में भगोड़ा घोषित किया गया था। मोबाइल सिम कार्ड की मदद से उसे ट्रेस किया गया। मामले में अन्य आरोपितों को पहले ही सजा हो चुकी है। अब कश्मीर सिंह पर मुकदमा चलेगा।

आरोपित पुलिसकर्मी को सीबीआई ने उसकी बहन के घर से दबोचा।
जागरण संवाददाता, मोहाली। दो दशक से अधिक समय तक गिरफ्तारी से बचने वाले पंजाब पुलिस के कर्मचारी 55 वर्षीय कश्मीर सिंह को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आखिरकार गिरफ्तार कर ही लिया है। 1991 के फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपित कश्मीर सिंह मोगा में अपनी बहन के घर छिपा हुआ था। वह लगातार ठिकाने बदल रहा था। गिरफ्तारी के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया।
सीबीआई अधिकारियों के अनुसार, कश्मीर सिंह को 2005 में भगोड़ा घोषित कर चुके थे। उसे उसके नाम पर जारी एक मोबाइल सिम कार्ड की मदद से ट्रेस किया गया। वह पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक निगरानी में था और जांच एजेंसी ने उसे मोगा के एक गांव से गिरफ्तार किया। इस समय वह कश्मीर में एक कॉन्स्टेबल के रूप में सेवा दे रहा था।
मामले में सह-आरोपी तत्कालीन एसएचओ सूबा सिंह, एसआई दलबीर सिंह और एएसआई रवेल सिंह को मार्च 2023 में सीबीआई कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया और पांच साल की कठोर कैद की सजा सुनाई गई थी।
सीबीआई के सार्वजनिक अभियोजक ने बताया कि वह छिपने के बाद एक प्रोक्लेम्ड अपराधी घोषित किया गया था। सूबा सिंह, दलबीर सिंह और एएसआई को मार्च 2023 में सीबीआई कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया और पांच साल की कठोर कैद की सजा सुनाई गई थी।
अब जब कश्मीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है तो मुकदमे की कार्यवाही वहां से शुरू होगी जहां से छोड़ी गई थी। गवाहों की जिरह जल्द ही फिर से शुरू होगी। इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने निजी तौर पर बताया कि एजेंसी उसके रिश्तेदारों के खिलाफ फरार को शरण देने के आरोप में भी कार्रवाई शुरू करने की योजना बना रही है।
यह है मामला
मामला 7 अगस्त 1991 का हैं, जब मल्लोवाल सांता गांव के निवासी बलजीत सिंह को तत्कालीन एसएचओ सूबा सिंह, एसआई दलबीर सिंह, एएसआई रवेल सिंह और कॉन्स्टेबल कश्मीर सिंह द्वारा अगवा कर मार डाला गया था।
सीबीआई की जांच के अनुसार, बलजीत अपने भाई परमजीत सिंह के साथ चाबल बस स्टैंड पर सुबह करीब 10 बजे खड़ा था जब पुलिसकर्मी उसे जबरन कार में उठाकर थाने ले गए। कांबो गांव के सरपंच रहे गवाह अनूप सिंह ने घटना की जानकारी बलजीत के पिता को दी।
बलजीत के लापता होने के बाद उसका पता नहीं चला। उसकी पत्नी बलबीर कौर ने हाईकोर्ट में उसकी तलाश के लिए रिट याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी, जिसकी जांच में पाया गया कि बलजीत को अवैध रूप से हिरासत में रखकर मार डाला गया था।
इन निष्कर्षों के आधार पर सीबीआई कोर्ट ने 2023 में तीन पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया। कश्मीर सिंह की गिरफ्तारी के साथ, इस मामले में आखिरी आरोपी अब करीब 34 साल बाद मुकदमे का सामना करेगा।

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