बिजली एक्ट संशोधन का पंजाब ने किया विरोध, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री चंडीगढ़ आकर करेंगे बात
पंजाब सरकार ने बिजली एक्ट 2003 में संशोधन का विरोध किया है। उसने कहा कि पंजाब में बिजली सिस्टम बेहतर तरीके से चल रहा है। अब केंद्रीय ऊर्जा मंत्री चंडीगढ़ आकर इस पर बात करेंगे।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। केंद्र सरकार की ओर से बिजली संशोधन एक्ट 2003 को पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है। पता चला है कि ऐसा करने वाले सात से आठ राज्य और भी हैं जिन्होंने शुक्रवार को केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह की ओर से रखी गई वीडियो कांफ्रेंस में इस संशोधन का विरोध किया। पंजाब सरकार की ओर से कहा गया कि इसे वह स्वीकार नहीं किया जा सकता। पंजाब में बिजली सिस्टम बेहतर तरीके से काम कर रहा है। संशोधन को लेकर पंजाब की ओर से कई मुद्दे व बिंदु उठाए गए।
पंजाब ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग में उठाया मामला, केंद्रीय बिजली मंत्री ने पुनर्विचार का आग्रह किया
राज्य सरकार पहले भी केंद्र को अपना विरोध जता चुकी है। पता चला है कि आरके सिंह ने पंजाब सरकार से अपने रुख पर पुनर्विचार करने को कहा। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह पंजाब द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बात करने के लिए जल्द ही चंडीगढ़ आएंगे। मीटिंग में पंजाब के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी अनिरुद्ध तिवारी ने कहा कि पंजाब में मौजूदा बिजली सिस्टम बहुत बढिय़ा तरीके से काम कर रहा है। अगर केंद्र सरकार को लगता है कि इसमें कुछ सुधार करने की जरूरत है तो पंजाब उन पर विचार कर सकता है।
काबिले गौर है कि केंद्र सरकार बिजली एक्ट में संशोधन को आने वाले मानसून सत्र में रखेगी है और इसके लिए राज्यों को मनाना भी जरूरी है। दरअसल इन संशोधनों के बारे में राज्य सरकार का मानना है कि यह देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने वाला है।
इन संशोधन में कहा गया है कि देश में बिजली की कीमतें तय करने के लिए नियुक्त किए जाने वाले रेगुलेटर केंद्र सरकार की ओर से तय किए जाएंगे। पंजाब ने ऐसा करने से साफ इन्कार कर दिया। उसका कहना है कि यह राज्य सरकार का हक है और इसे सरेंडर नहीं किया जा सकता।
किसानों को सब्सिडी बड़ा मुद्दा
किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। बिजली एक्ट 2003 के संशोधन में सुझाया गया है कि यह सब्सिडी किसानों के खाते में सीधी डाली जाए जिस पर राज्य सरकार सहमत नहीं है। सरकार की दलील है कि न तो किसान पर इस सहमत हैं और न ही तकनीकी तौर पर यह संभव है। मीटिंग में कहा गया कि राज्य में ज्यादातर किसान ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं ऐसे में खेती करने वालों की बजाए सब्सिडी जमीन मालिक के नाम पर ट्रांसफर करनी पड़ेगी जो सही नहीं होगा।
निजी कंपनियों को लेकर मतभेद
इसके अलावा बिजली वितरण के काम में निजी कंपनियों को लेकर भी सहमति नहीं बन पाई। बिजली मंत्री ने कहा कि वह पंजाब सरकार द्वारा उठाए इन मुद्दों पर बात करने के लिए अगले दिनों में पंजाब आएंगे। काबिले गौर है कि इससे पहले आल इंडिया पावर इंजीनियर एसोसिएशन भी इन प्रस्तावों का विरोध कर चुकी है।