Move to Jagran APP

Punjab News: ग्रांट नहीं मिली तो नगर निगम नहीं दे पाएगा अप्रैल का वेतन, 62 करोड़ रुपये की जरूरत

नगर निगम प्रापर्टी टैक्स हासिल करने के लिए जो लक्ष्य हासिल करता है वह पूरा नहीं हो पाता। हालांकि पिछले वर्ष से इसमें बढ़ोतरी जरूरत हो रही है। इस वर्ष 80 करोड़ का लक्ष्य रखा था लेकिन 68 करोड़ ही प्रापर्टी टैक्स इक्ट्ठा हुआ।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaPublished: Mon, 27 Mar 2023 05:19 AM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2023 05:19 AM (IST)
Punjab News: ग्रांट नहीं मिली तो नगर निगम नहीं दे पाएगा अप्रैल का वेतन, 62 करोड़ रुपये की जरूरत
Punjab News: ग्रांट नहीं मिली तो नगर निगम नहीं दे पाएगा अप्रैल का वेतन, 62 करोड़ रुपये की जरूरत

चंडीगढ़, जागरण संवाददाता। नया वित्त वर्ष पहली अप्रैल से शुरू हो रहा है। लेकिन अभी तक यूटी प्रशासन ने नगर निगम के बजट को मंजूरी नहीं दी है। इससे नगर निगम के पास अप्रैल महीने की सैलरी और भत्ते जैसे खर्चों के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं। इसके लिए नगर निगम ने यूटी प्रशासन को तुरंत वित्तीय सहायता मांगी है। प्रशासन को नगर निगम ने लिखा है कि अप्रैल माह की देनदारी के लिए उन्हें 62 करोड़ रुपये की जरूरत है। यूटी प्रशासन से आग्रह किया गया है कि वह इन खर्चों के लिए नगर निगम को यह वित्तीय सहायता तुरंत मुहैया कराए।

loksabha election banner

अभी एमसी का बजट प्रशासन के लोकल गवर्नमेंट के पास मंजूरी के लिए लंबित है। 62 करोड़ रुपये में अधिकतर खर्च सैलरी, भत्तों और बिलों का है। यही खर्च को देखते हुए वित्तीय मदद मांगी गई है। आगामी वित्त वर्ष के लिए नगर निगम को प्रशासन ने 555 करोड़ रुपये देने तय किए हैं। अभी तक इसकी पहली किस्त एमसी को जारी नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि अभी इसमें कुछ समय और लगेगा। इस वजह से निगम की मुश्किल बढ़ गई हैं। एमसी ने पिछले कई वर्षों में रेवेन्यू जेनरेट करने में सुधार किया है। बावजूद इसके नगर निगम मुख्य तौर पर प्रशासन से मिलने वाली ग्रांट इन एड पर निर्भर है।

प्रापर्टी टैक्स का लक्ष्य अधूरा

नगर निगम प्रापर्टी टैक्स हासिल करने के लिए जो लक्ष्य हासिल करता है वह पूरा नहीं हो पाता। हालांकि पिछले वर्ष से इसमें बढ़ोतरी जरूरत हो रही है। इस वर्ष 80 करोड़ का लक्ष्य रखा था लेकिन 68 करोड़ ही प्रापर्टी टैक्स इक्ट्ठा हुआ। नए वित्त वर्ष में लक्ष्य 92 करोड़ का है।

सैलरी पर मोटा खर्च

ग्रांट इन एड में से मोटा खर्च तो सैलरी और भत्तों पर ही खर्च हो जाता है। हर साल जिस तरह से सेलरी बढ़ती है रेवेन्यू उतना नहीं बढ़ रहा। इस वजह से प्रशासन का मुहं देखना पड़ता है।

सेस भी नहीं मिला

इसके अलावा बिजली, शराब पर सेस लगाने का पैसा भी नगर निगम को मिलना है। लेकिन यह भी समय पर नहीं मिल रहा। एमसी लगातार सेस ट्रांसफर करने के लिए लिखता रहा है।

पार्किंग घोटाला

पार्किंग घोटाला मामले में गिरफ्तार किए मास्टरमाइंड अनिल शर्मा से पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि उसका भोपाल, दिल्ली, और चंडीगढ़ में कई ठेके थे। इनमें पार्किंग, आउटडोर पब्लिसिटी होर्डिंग्स और अन्य सरकारी ठेके शामिल हैं, जो नगर निगम और स्थानीय प्रशासन की ओर से दिए जाते हैं। इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने अब भोपाल और दिल्ली नगर निगम से पार्किंग घोटाला के मास्टरमाइंड अनिल शर्मा द्वारा बनाई शेल कंपनियों के नाम पर लिए गए सभी कान्ट्रैक्ट और बैंक गारंटी के रिकार्ड मांगे हैं।

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनिल शर्मा ने कई कंपनी बनाकर कई राज्यों और लोगों के साथ धोखाधड़ी और घोटाले किए हैं। आरोपित सोमवार तक पुलिस रिमांड में है, रिमांड में कई अन्य शेल कंपनियों और गिरोह में शामिल अन्य लोगों का खुलासा हो सकता है। पुलिस की पूछताछ में यह सामने आया है कि आरोपित अनिल शर्मा पर न केवल चंडीगढ़ बल्कि दिल्ली नगर निगम के कई कांट्रैक्ट में करोड़ों रुपये की देनदारी खड़ी है। आरोपित अनिल शर्मा की राजनीतिक पहुंच होने के कारण वह अब तक करोड़ों रुपये की देनदारी और घोटाला से बचता आया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.