मोदी कैबिनेट में हरसिमरत की खाली सीट पंजाब ने गंवाई, सन्नी देओल की एंट्री से बड़ा दांव खेल सकती थी भाजपा
केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार में पंजाब को निराशा ही हाथ लगी और उसके हाथ से हरसिमरत कौर बादल खाली इस्तीफे के बाद से खाली सीट भी निकल गई। उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सनी देओल पर दांव लगा सकती है।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। केंद्र की मोदी मंत्रिपरिषद के विस्तार में पंजाब को निराशा ही मिली। उम्मीद की जा रही थी कि हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे से खाली मंत्री की सीट पंजाब के हिस्से ही आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह भी चर्चा थी कि गुरदासपुर से सांसद सनी देओल को एंट्री देकर भाजपा पंजाब में बड़ा दांव खेल सकती है। इससे भाजपा को 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर फायदा मिलता।
हरसिमरत बादल के खाली हुए मंत्री पद की भरपाई नहीं हुई पंजाब से
दरअसल, जुलाई 2020 में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के बीच टूटे गठबंधन का पंजाब को काफी नुकसान हुआ है। भाजपा नीत गठबंधन सरकार में शिअद के कोटे से हरसिमरत कौर बादल के कैबिनेट में खाली हुए पद की भरपाई नहीं हुई है। ठीक आठ महीने बाद जब पंजाब में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं ऐसे में माना जा रहा था कि पंजाब को एक पद मिल सकता है लेकिन भाजपा के पास गुरदासपुर से सन्नी देओल को छोड़कर ज्यादा विकल्प नहीं थे। हालांकि पार्टी चाहती तो सन्नी देओल को मंत्रिमंडल में लेकर एक तीर से दो निशाने साध सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सनी देओल के केंद्रीय मंत्री बनने से जट्ट समुदाय की कम हो सकती थी नाराजगी
तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान खासकर जट्ट समुदाय भाजपा से खासा नाराज है और इस नाराजगी को दूर करने के लिए सनी (देओल को मंत्रिमंडल में शामिल करने का विकल्प पार्टी के पास मौजूद था। सनी देओल जट्ट सिख समुदाय से संबंधित हैं और उन्होंने कांग्रेस के सुनील जाखड़ जैसे बड़े कद के नेता को संसदीय चुनाव में हराया था।
केंद्रीय राज्यमंत्री सोमप्रकाश की फाइल फोटो।
दरअसल भाजपा के पास पंजाब में दो ही सांसद हैं जिनमें होशियारपुर से सोमप्रकाश को पहले से ही उद्योग राज्य मंत्री बनाया हुआ है। राज्यसभा में भी भाजपा के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। भाजपा के कोटे से पिछली सरकार के दौरान श्वेत मलिक को राज्यसभा में भेजा गया था, जिनका कार्यकाल खत्म होने में अब मात्र कुछ महीने ही बचे हैं। ऐसे में उन्हें मंत्रिमंडल में लेना सही न होता लेकिन चूंकि पंजाब में विधानसभा में चुनाव हैं और पार्टी अपने कोर पंजाबी वोट बैंक को बचाकर रखने के लिए यह दांव खेल सकती थी।
पंजाब से भाजपा के राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक की फाइल फोटो।
काबिले गौर है कि हरियाणा की तर्ज पर भाजपा गैर जट्ट वोट बैंक को इकट्ठा करके दांव खेलना चाह रही है। इसके लिए पार्टी ने दलित या पिछड़े वर्ग से किसी को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया है। ऐसे में पार्टी का कोर वोटर ब्राह्मण, अग्रवाल समुदाय और पंजाबी खत्री नाराज दिखाई पड़ रहे हैं। उनका मानना है कि शिरोमणि अकाली दल से समझौता तोड़ने के बाद हिंदू वर्ग के पास पहली बार मुख्यमंत्री का चांस था जो पार्टी हमसे छीनकर दलित या पिछड़े वर्ग को दे रही है।
पार्टी ने दलित कोटे से एक सांसद को पहले ही केंद्रीय मंत्री बनाया हुआ है जबकि एक पूर्व सांसद को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन जैसा बड़ा पद दिया हुआ है। हमारे हिस्से में क्या आया है जो हम लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं।