पटरी पर लौटा पंजाब का उद्योग ; 78 फीसद फैक्ट्रियां शुरू, 68 फीसद श्रमिक काम पर लौटे
पंजाब में उद्योग पटरी पर लौट आया है। राज्य में 78 फीसद उद्योग शुरू हो गए हैं। अन्य राज्यों से श्रमिक लौट रहे हैं। राज्य के उद्योगों में 68 फीसद श्रमिक लौट आए हैं।
चंडीगढ़, [कमल शर्मा]। कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण पटरी से उतरी पंजाब की अर्थव्यवस्था और इंडस्ट्री धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी है। राज्य में उद्योगों के पहिये तेज हो गए है और राज्य में 78 फीसद उद्योगों में काम शुरू हाे गया है। काफी संख्या में अन्य राज्यों से श्रमिकों के लौटने का क्रम जारी है। अब तक राज्य के उद्योगों में करीब 68 फीसद श्रमिक और कामगार लौट आए हैं। इसके साथ ही अपने राज्यों में वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने वाले 70 फीसद श्रमिकों ने अपना इरादा बदल लिया है।
उद्योगपतियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उद्योगों में काम शुरू होने पर संतोष और सरकार की ओर से पूरे सहयोग का भरोसा दिलाया। उन्होंने बताया कि पंजाब में 78 फीसद उद्योगों में फिर से उत्पादन शुरू हो गया है और 68 फीसद श्रमिक काम पर लौट आए हैं।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुने उद्यमियों के सुझाव
औद्योगिक इकाइयों में काम शुरू होने के चलते बड़ी संख्या में मजदूरों के पलायन पर रोक लग गई है। शुक्रवार को पंजाब से मजदूरों को लेकर एक भी ट्रेन नहीं गई। महामारी के दौर में विकट परिस्थितियों के बीच उद्योगों को शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री ने उद्योगपतियों की सराहना करते हुए कहा है कि राज्य सरकार अगले कुछ दिनों में 100 फीसद उद्योगों शुरू करवाने का प्रयास कर रही है।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि चीन से निकलने वाले उद्योगों को पंजाब लाने के लिए सरकार कई देशों की सरकारों से संपर्क में है। इससे औद्योगिक विकास की संभावनाएं बन रही हैं। मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग को आदेश दिए कि सभी उद्योगों को दोबारा काम करने की क्लीयरेंस देने की प्रक्रिया को तेज करे, ताकि राज्य में औद्योगिक उत्पादन अपनी पुरानी गति पर आ जाए।
वापस आने की तैयारी कर रहे श्रमिक: उद्योग मंत्री
बैठक के दौरान उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने कहा कि उद्योगों के शुरू होने से पहले राज्य छोडऩे की मंशा जताने वाले मजदूर भी अब यहीं रुक गए हैं। राज्य छोड़ कर जा चुके मजदूरों से भी वापस पंजाब आने की गुजारिशें मिल रही हैं। पंजाब सरकार अब केंद्र सरकार को पिछले दिनों में भेजे गए मजदूरों को वापस लाने के लिए विशेष रेलें चलाने का अनुरोध करने पर विचार कर रही है।
उद्योगपतियों की मांगें
आरती ग्रुप के निदेशक सुशेन मित्तल ने राज्य में स्क्रैपेज पॉलिसी गठित करने और मोंटे कारलो फैशन्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक ऋषभ ओसवाल ने इंडस्ट्रियल पार्क पॉलिसी और फिक्सड इलेक्ट्रिसिटी चार्ज में छूट की मांग उठाई। हीरो इकोटेक लिमिटेड के निदेशक गौरव मुंजाल ने साइकिलों पर जीएसटी को 12 फीसद से कम करके 5 फीसद किए जाने की मांग की।
महिला उद्यमी कोमल शर्मा तलवार ने आइटी पार्क पॉलिसी में प्रॉपर्टी की नीलामी, मालिकाना अधिकार के ट्रांसफर जैसे नियमों में संशोधन की जरूरत जताई। बैठक में मनीपाल धारीवाल, परम सिंह, तरनजीत सिंह, डॉ. एआर शर्मा और विकास गुप्ता आदि ने भी अपने सुझाव पेश किए।
श्रमिकों ने छोड़ा घर जाने का इरादा, मुश्किल से भर रहीं ट्रेनें
उद्योगों के रफ्तार पकडऩे से पलायन करने वाले श्रमिकों ने घर जाने का इरादा छोड़ दिया है। रजिस्ट्रेशन करवाने वाले 70 फीसद श्रमिक घर नहीं लौटे। श्रमिक की कमी से ट्रेनें चलानी भी मुश्किल हो रही हैं। यही वजह है कि पंजाब सरकार भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या पर भी पुनर्विचार कर रही है।
कोरोना काल में कर्फ्यू के दौरान पंजाब से दस लाख से ज्यादा श्रमिकों ने अपने गृह राज्यों को लौटने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था। कुछ दिन से दूसरे राज्यों के लिए फुल ट्रेनें चलीं। अब 1200 यात्रियों वाली ट्रेनों को भरना मुश्किल हो गया। ट्रेन चलाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने वाले लगभग 4000 श्रमिकों को बुलाना पड़ रहा है।
कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार राज्य से अब तक 375 विशेष ट्रेनों से 4.84 लाख से अधिक श्रमिकों को उनके गृह राज्य वापस भेजा जा चुका है। नोडल अधिकारी व लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव विकास प्रताप ने कहा कि अब तक पंजाब से सबसे अधिक 226 ट्रेनें उत्तर प्रदेश और 123 ट्रेनें बिहार भेजी गई हैं। इसके अलावा झारखंड के लिए नौ, मध्य प्रदेश सात और छत्तीसगढ़ तीन और पश्चिमी बंगाल को दो और महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, मणिपुर, तामिलनाडु और उत्तराखंड एक-एक ट्रेन भेजी गई।
इस पर राज्य सरकार 26 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। पंजाब से सबसे अधिक 188 रेलगाडिय़ां लुधियाना से भेजी गईं। जालंधर से 76, अमृतसर से 29, पटियाला से 24, मोहाली से 23, फिरोजपुर 15, दोराहा से 7, सरङ्क्षहद से 6, बठिंडा से 3, गुरदासपुर से 2 और होशियारपुर और पठानकोट से एक-एक ट्रेन भेजी गई।
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