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SYL पर पंजाब-हरियाणा में नहीं बनी सहमति, अब Supreme court पर नजर

SYL नहर पर सुप्रीम कोर्ट में आज एक बार फिर सुनवाई होने जा रही हैैै। दो बैठकों के बावजूद पंजाब और हरियाणा में कोई सहमति न बनने के कारण मामला बीच में लटका हुआ है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 12:48 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 12:48 PM (IST)
SYL पर पंजाब-हरियाणा में नहीं बनी सहमति, अब Supreme court पर नजर
SYL पर पंजाब-हरियाणा में नहीं बनी सहमति, अब Supreme court पर नजर

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर पर सुप्रीम कोर्ट में आज एक बार फिर सुनवाई होने जा रही हैैै। दो बैठकों के बावजूद पंजाब और हरियाणा में कोई सहमति न बनने के कारण मामला बीच में लटका हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि दोनों राज्य आपस में मामला सुलझा लें, वरना उन्हें सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार करना होगा। लिहाजा अब दोनों राज्यों की नजर सुप्रीम कोर्ट पर है।

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मुख्यमंत्री स्तर पर अभी दोनों नेताओं के बीच कोई बात नहीं हुई है। दोनों राज्यों के बीच मुख्य सचिव स्तर पर दो बार बात हो चुकी है, लेकिन दोनों ही राज्य अपने अपने स्टैंड पर कायम हैं। पंजाब ने मीटिंग में फिर से अपने स्टैंड को दोहराया है कि उनके पास देने के लिए पानी नहीं है।

सुनवाई से एक दिन पहले सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात की और उनके सामने पंजाब में पानी की स्थिति व भूजल के बारे में अपना पक्ष रखा। इस दौरान सीएम के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार, चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह व सिंचाई विभाग के सेक्रेटरी सरबजीत सिंह भी उनके साथ थे।

ट्रिब्यूनल बनाने की मांग कर रहा पंजाब

पंजाब पानी के फिर से बंटवारे को लेकर नया ट्रिब्यूनल बनाने की भी मांग कर रहा है। राज्य का कहना है कि SYL नहर में वह पानी जाना है, जिसका बंटवारा 1921-81 की सीरीज को आधार मानकर किया गया था। अब चालीस से ज्यादा सालों में नदियों के पानी में कमी आ गई है। 2011 में BBMB ने नई सीरीज भी तैयार कर ली है जिसमें पानी की उपलब्धता कितनी कम हुई है। इसका पूरा ब्यौरा है। ऐसे में उस अनुपात में पानी की कमी होने से हरियाणा को पानी देने के लिए पंजाब के पास नहीं है।

यमुना के पानी में हिस्सा मांगा

पंजाब ने यमुना के पानी में भी हिस्सा मांगा है। राज्य सरकार का कहना है कि यदि पंजाब की नदियों पर हरियाणा का हिस्सा केवल इसलिए है कि वह कभी पंजाब का हिस्सा था, तो यह फॉर्मूला यमुना को लेकर पंजाब पर भी लागू होता है। उसे भी इसके पानी में हिस्सा देना चाहिए।

हरियाणा को पानी दिया तो दक्षिणी मालवा पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा: सरकारिया

राज्य के सिंचाई मंत्री सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने कहा कि हमारे पास देने के लिए पानी नहीं है। पंजाब का 65 फीसद इलाका ट्यूबवेल से सिंचाई कर रहा है और भूजल चिंतनीय स्तर तक गिर चुका है। अगर SYL के जरिए हरियाणा को पानी दिया जाता है, तो दक्षिणी मालवा पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। हरियाणा भी अपने स्टैंड पर अड़ा हुआ है। उनका कहना है कि राज्य के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है, इसलिए पंजाब इसको लागू करे।

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