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पंजाब के राज्यपाल बदनौर ने कैप्टन सरकार से पूछे कड़े सवाल, जानें क्‍या है पूरा मामला

पंजाब के राज्‍यपाल वीपी सिंह बदनौर ने विधायकों को सलाहकार बनाने पर कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार से कड़े सवाल पूछे हैं। इससे सरकार के समक्ष अजीब स्थित पैदा होती दिख रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 01:19 PM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 01:19 PM (IST)
पंजाब के राज्यपाल बदनौर ने कैप्टन सरकार से पूछे कड़े सवाल, जानें क्‍या है पूरा मामला
पंजाब के राज्यपाल बदनौर ने कैप्टन सरकार से पूछे कड़े सवाल, जानें क्‍या है पूरा मामला

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब के राज्‍यपाल वीपी सिंह बदनौर ने राज्‍य की कैपटन अमरिंदर सिंह सरकार के लिए बड़ी दुविधा की स्थिति पैदा कर दी है। राज्‍यपाल ने छह विधायकों को मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाने को लेकर कैप्‍टन सरकार से कड़े सवाल पूछे हैं। इस संबंध में सरकार ने पंजाब विधानसभा में विधेयक (बिल) पास कराया था। राज्यपाल बदनौर ने इस संबंध में कैप्टन सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। पूरे मामले पर मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि राज्‍यपाल ने बिल को वापस नहीं किया है, बल्कि कुछ सवालों पर स्‍पष्‍टीकरण मांगा है।

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कैप्टन अमरिंदर बोले- राज्यपाल ने बिल वापस नहीं किया, कुछ सवालों  पर स्पष्टीकरण मांगा

बता दें कि पिछले दिनों श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर कैप्टन सरकार ने पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। इसमें पंजाब स्टेट लेजिस्लेचर(प्रिवेंशन ऑफ डिस्क्वालिफिकेशन) संशोधन विधेयक 2019 पास करवा लिया गया था। विधेयक में विधायकों को लाभ के पद से बाहर कर दिया गया था।

पहले इसकी आर्डिनेंस जारी की गई थी। इसके तहत कुश्लदीप सिंह ढिल्लों, कुलजीत नागरा, तरसेम सिंह डीसी, इंद्रबीर सिंह बोलारिया,अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग, संगत सिंह गिलजियां को मुख्यमंत्री के सलाहकार नियुक्‍त  किया गया था। अब विधेयक को लेकर राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने कड़े सवाल उठा दिए हैं। राज्‍यपाल ने सरकार से 13 विभिन्न सवाल पूछे हैं।

मांगा इन सवालों पर स्पष्टीकरण

- क्या सलाहकारों के पद सार्वजनिक व्यवस्था के अधीन बनाए गए हैं?

-सुविधाएं, पात्रता, वेतन और भत्ते क्या हैं?

-इनके ऑफिस का क्या काम है?

-क्या इन्हें सरकारी फाइलें देखने का अधिकार है?

-क्या आफिस संभालने से पूर्व इन्हें कोई शपथ दिलाई जाएगी?

-क्या इन्हें स्टाफ मिलेगा?

-क्या रूल्स ऑफ बिजनेस में इनके काम को शामिल किया गया है?

-क्या इन पदों के लिए कोई योग्यता रखी गई है?

-कितने पदों को सृजित किया गया है, इनकी सीमा क्या है?

-इनकी जवाबदेही किसके प्रति है? और यह किस प्रकार की सलाह सीएम को देंगे?

-सीएम को दी गई सलाह का कानूनी स्टेटस क्या रहेगा?

-क्या हाउस की दिनचर्या के प्रति उनकी जवाबदेही होगी?

-इनकी नियुक्तियों को अदालत में दी गई चुनौती का स्टेटस क्या है?

विधेयक वापस नहीं किया, स्पष्टीकरण मांगा हैः पंजाब सरकार

इधऱ, पंजाब सरकार ने यह दावा खारिज कर दिया जिसमें कहा गया कि राज्यपाल ने पंजाब स्टेट लेजिस्लेचर(प्रिवेंशन ऑफ डिस्क्वालिफिकेशन) संशोधन विधेयक 2019 को वापस कर दिया है। पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्यपाल ने केवल विधेयक से संबंधित कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है, जिसका जवाब जल्द उन्हें भेज दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग और अधिकारियों को पूछे गए सवालों का जल्द से जल्द जवाब भेजने को कहा गया है। बता दें कि सरकार ने इन छह में से पांच विधायकों- कुश्लदीप ढिल्लों, संगत सिंह गिलजियां, अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग, कुलजीत नागरा और इंद्रबीर सिंह बोलारिया को कैबिनेट रैंक और तरसेम सिंह डीसी को राज्यमंत्री का दर्जा दिया हुआ है।


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