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आर्थिक संकट में फंसी पंजाब सरकार करेगी बकाया वसूली, कर्मचारियों के भत्‍ते में कटौती

पंजाब सरकार गंभीर आर्थिक संकट में फंस गई है। ऐसे में उसने अब इससे निकलने के लिए उपाय शुरू कर दिए हैं। सरकार ने इसके लिए ब‍काया शुल्‍कों की वसूली तेज कर दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 08:00 AM (IST)
आर्थिक संकट में फंसी पंजाब सरकार करेगी बकाया वसूली, कर्मचारियों के भत्‍ते में कटौती
आर्थिक संकट में फंसी पंजाब सरकार करेगी बकाया वसूली, कर्मचारियों के भत्‍ते में कटौती

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब की अर्थव्यवस्था में कोरोना के कारण आई गिरावट से उबरने के लिए सरकार ने कई प्रयास किए, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। अब सरकार विभिन्न विभागों की बकाया वसूली पर जोर देगी। इसके साथ ही सरकार ने कर्मचारियों के मोबाइल भत्‍ते में भी कटौती की है।

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आमदनी बढ़ाने में नाकाम रही सरकार ने बदली रणनीति

पंजाब सरकार ने आर्थिक संकट से निकलने के लिए अब तक कई उपाय किए हैं। उसने तमाम विरोध के बावजूद सरकार ने एक्साइज पॉलिसी लागू कर शराब ठेकों को खुलवाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाया। ठेकों से होने वाली 5500 करोड़ रुपये की आमदनी में गिरावट व अवैध शराब बिक्री के चलते राजस्व के नुकसान का मुद्दा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास उठाया। इसके बाद कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद बसों को पूरी क्षमता से चलाने जैसे फैसले लिए।

अब सरकार ने विभिन्न विभागों की लंबित करोड़ों की राशि को वसूलने का काम शुरू कर दिया है। सोमवार को राज्य के छह जिलों में स्टांप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन की कम वसूली का हवाला देते हुए प्रमुख वित्त सचिव केएपी सिन्हा ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (रेवेन्यू) विश्वजीत खन्ना को पत्र लिखकर 452 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा है। इसी तरह ट्रांसपोर्ट विभाग व अन्य विभागों को भी पत्र लिखे गए हैं।

इसके साथ ही कर्मचारियों के मोबाइल भत्ते में कटौती शुरू हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि विधायकों व मंत्रियों को दिए जाने वाले मोबाइल बिलों का कोई जिक्र नहीं किया गया है। यह भत्ता अक्टूबर 2011 में उस समय लगाया गया था, जब अकाली-भाजपा सरकार कार्यकाल पूरा करके चुनाव में उतरने जा रही थी। इससे खजाने पर लगभग 1800 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा। 

20 जुलाई तक 12,600 करोड़ आने थे, 2200 करोड़ ही आए

प्रमुख वित्त सचिव केएपी सिन्हा ने बताया कि राज्य सरकार के अपने स्रोतों से एक अप्रैल से लेकर 20 जुलाई तक 12,600 करोड़ रुपये आने चाहिए थे, लेकिन मात्र 2200 करोड़ रुपये ही आए हैं। केंद्र से मिलने वाले जीएसटी के गैप का भी 2100 करोड़ रुपये अभी बकाया हैं।

मोबाइल भत्ते में कितनी कटौती (रुपये में )

कर्मचारी        पहले          अब

ग्रुप-ए-           500-       250

ग्रुप बी-          300-      175 

ग्रुप-सी व डी- 250-       150

कर्मचारी संगठनों ने किया विरोध

मोबाइल भत्ते में कटौती का कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है। डेमोक्रेटिक मुलाजिम फेडेरशन के प्रधान भूपेंदर ङ्क्षसह वड़ैच, जनरल सेक्रेटरी जरमनजीत सिंह, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के प्रधान दविंदर सिंह पूनिया ने इस फैसले की निंदा की है।


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