वित्तीय संकट से जूझ रही पंजाब सरकार ने केंद्र के समक्ष रखी मांग, जारी रखी जाए जीएसटी मुआवजा राशि
पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से जीएसटी मुआवजा राशि को जारी रखने की मांग की है। बता दें केंद्र सरकार 1 जुलाई से इस राशि को खत्म करने की बात कह चुकी है। पंजाब ने कहा कि इससे राज्यों व वित्तीय संकट आ सकता है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। वित्तीय संकट से जूझ रही पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि एक जुलाई से बंद होने जा रही जीएसटी मुआवजा राशि को जारी रखा जाए। पंजाब ने कहा कि उसे इस साल 16 हजार करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा मिलना था, लेकिन मात्र एक तिमाही की चार हजार करोड़ रुपये की राशि ही मिलेगी।
एक जुलाई के बाद केंद्र सरकार राज्यों को दी जाने वाली जीएसटी मुआवजा राशि को बंद कर देगी। इससे राज्यों की वित्तीय हालत बहुत खराब हो जाएगी। हरपाल चीमा पंजाबभर में आम लोगों, इंडस्ट्री, ट्रेड, किसानों और तमाम यूनियनों के साथ बैठकें करने के बाद मीडिया कर्मियों से बात कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि भाजपा शासित राज्यों की हालत तो पंजाब से भी ज्यादा खराब है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार जीएसटी मुआवजा राशि बंद कर देती है तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि हमने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को लिखकर भेजा है कि जीएसटी मुआवजा राशि जारी रहनी चाहिए। मई के अंतिम महीने में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में भी हम यह बात रखने जा रहे हैं।
काेई नया टैक्स नहीं लगाएंगे
वित्तमंत्री ने कहा कि जून महीने में पेश किए जाने वाले बजट में कोई नया टैक्स नहीं लगाया जाएगा, बल्कि पहले से लगे टैक्सों के कलेक्शन यकीनी बनाकर उसे बढ़ाया जाएगा। बजट सेशन के बारे में उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री से चर्चा करके बजट सेशन की तारीखों का ऐलान किया जाएगा।
20 हजार से ज्यादा आए सुझाव
वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि बजट तैयार करने से पूर्व सरकार ने बठिंडा, जालंधर, लुधियाना, अमृतसर, बटाला और मंडी गोबिंदगढ़ जैसे शहरों में जाकर लोगों से सुझाव लिए। यही नहीं दो पोर्टल भी लांच किए गए जिस पर बीस हजार लोगों ने अपने सुझाव दिए।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि 4055 महिलाओं ने भी अपने सुझाव दिए। सबसे ज्यादा सुझाव लुधियाना से 10.61 फीसदी, पटियाला में 10 फीसदी, फाजिल्का से 8.45 फीसदी, बठिंडा में 6 फीसदी, अमृतसर में 5.5 फीसदी संगरूर से 7.1 फीसदी और मुक्तसर से पांच फीसदी सुझाव आए।
उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री बेहतर आधारभूत ढांचा, सस्ती बिजली, बिजनेस फ्रेंडली माहौल, इंस्पेक्टरी राज का खात्मा करने और सीएलयू के रेट का सरलीकरण करने जैसे सुझाव मिले हैं। महिलाओं ने बढि़या शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा देने के सुझाव दिए। युवाओं ने रोजगार और किसानों ने आय में वृदिध करने के सुझाव दिए। खेत मजदूरों ने रहने के लिए मकान आदि उपलब्ध करवाने की बात कही।