केंद्र सरकार ने की खाद सब्सिडी में कटौती, पंजाब को सबसे ज्यादा नुकसान
कें्रद सरकार द्वारा खाद सब्सिडी में कटौती किए जाने से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब को हुआ है। इसका सीधा असर पंजाब के किसानों पर पड़ेगा।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। केंद्र सरकार ने हाल ही में पेश किए गए बजट में खादों पर सब्सिडी में नौ हजार करोड़ रुपये की कमी कर दी है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पंजाब के किसानों पर पड़ेगा जो देश भर में सबसे ज्यादा यूरिया व डीएपी की खपत करते हैं। पंजाब में सात लाख टन डीएपी और 28 लाख टन यूरिया का प्रयोग किया जाता है। डीएपी के एक थैले पर केंद्र सरकार की ओर से किसानों को 502 रुपये की सब्सिडी मिलती है, जबकि यूरिया पर दस हजार रुपये प्रति टन की सब्सिडी दी जाती है।
केंद्र ने इस बार के बजट में नौ हजार करोड़ की सब्सिडी कम की
भारतीय किसान यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल का कहना है कि हम तो लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि केंद्र सरकार धीरे-धीरे किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी खत्म कर देगी। यह उसी दिशा में उठाया हुआ कदम है। सब्सिडी में नौ हजार करोड़ की कटौती का अर्थ है कि पंजाब में लगभग एक हजार करोड़ की सब्सिडी कम मिलेगी। कह सकते हैैं कि किसानों को अब डीएपी व यूरिया के लिए ज्यादा कीमत देनी होगी।
पैदावार घटेगी, किसानों को खाद भी महंगी मिलेगी : राजेवाल
उन्होंने कहा कि एक ओर किसानों की आय को दोगुणा करने के दावे किए जा रहे हैं, जबकि दूसरी ओर उनकी इनपुट कॉस्ट बढ़ाई जा रही है। खेतों में यूरिया और डीएपी डालने की एक मात्रा अब निश्चित हो चुकी है। अब अगर इससे कम खादों का प्रयोग करेंगे तो पैदावार भी कम होगी। यानी दोनों ओर से नुकसान पंजाब के किसानों का ही होगा।
रासायनिक खादों से खेती करने वाले किसानों के पक्ष से देखा जाए तो उनका नुकसान होता साफ नजर आ रहा है। दूसरी ओर जैविक खेती करने वाले किसानों को लगता है कि इस तरह के कदमों से ही रासायनिक खादों से होने वाली खेती को रोका जा सकता है।
देश में खाद की कुल खपत का 12 फीसद इस्तेमाल होता है पंजाब में
मोहाली के गांव पत्तों में जैविक खेती करने वाले हरशरण सिंह ने कहा कि खाद सब्सिडी में नौ हजार करोड़ की कटौती के कदम को तभी वाजिब ठहराया जा सकता है जब सरकार ने यह राशि जैविक खेती करने वालों को दी होती। बिना विकल्प बनाए इस तरह के कदम नुकसानदायक साबित होंगे।
हरशरण का कहना है कि जमीन को केमिकल फ्री करने में तीन साल लगते हैं। जो किसान रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती अपनाएंगे, उनकी पैदावार आधी से ज्यादा गिर जाएगी। इन तीन सालों में होने वाले नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा? वह पिछले चार साल से जैविक खेती कर रहे हैं। एक बूंद भी जहरीली खादों व कीटनाशक दवाओं की अपनी फसल पर नहीं डालते, लेकिन जो ऐसे जहर डाल रहे हैं सरकार उनको सब्सिडी दे रही है। जो ऐसा नहीं कर रहे उन्हें खाली हाथ रखा जा रहा है। ऐसे में किसान कैसे अपनी रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती की ओर जाएंगे।
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