Punjab financial crisis: छोटे व मझोले किसानों को ही मिले बिजली सब्सिडी तो बचेंगे 3907 करोड़
Punjab financial crisis यदि केवल दस एकड़ तक के छोटे व मझोले किसानों को सब्सिडी दी जाए तो सरकार के 3907 करोड़ रुपये बच सकते हैं।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। किसानों को हर साल दी जा रही 6060 करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी अब सरकार की आंख में चुभने लगी है। इसको तर्कसंगत बनाने को लेकर सरकार में गंभीरता से मंथन शुरू हो गया है। वित्त विभाग ने बिजली विभाग के आंकड़े पेश करते हुए सुझाव दिया है कि यदि केवल दस एकड़ तक के छोटे व मझोले किसानों को सब्सिडी दी जाए तो सरकार के 3907 करोड़ रुपये बच सकते हैं।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कुराली-बद्दी रोड स्थित फार्म हाउस पर सीनियर अधिकारियों की मीटिंग में कई सुझाव दिए गए। इसमें अहम सुझाव यह भी था कि सब्सिडी छोटे और मझोले किसानों, यानी दस एकड़ से कम जमीन पर खेती करने वाले किसानों को ही दी जाए। सभी संबंधित विभागों से जहां राजस्व वृद्धि करने के सुझाव मांगे गए थे वहीं, खर्चों को कम करने के लिए भी सुझाव आमंत्रित किए गए थे।
राज्य के खजाने पर इस समय सबसे बड़ा बोझ बिजली सब्सिडी को लेकर ही है। चाहे वह किसानों को दी जा रही हो या फिर इंडस्ट्री को या फिर एससी, बीसी समुदाय को। यह कुल 9674 करोड़ रुपये बनती है। जिसमें किसानों को 6060 करोड़, एससी, बीसी समुदाय को 200 यूनिट फ्री देने में 1623 करोड़ और इंडस्ट्री को 1990 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है।
केंद्र सरकार से जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि मिलने में हो रही देरी और राज्य के अपने टैक्सों से कम हो रहे रेवेन्यू के कारण आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने दो हफ्ते पहले मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य सरकार इस समय वित्तीय संकट में है, इसलिए फौरन राजस्व वृद्धि के कदम उठाने होंगे। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने सभी सुझावों को ध्यान से सुना है, लेकिन इस पर कब से अमल करना है और किन विकल्पों को चुनना है, इस पर उन्होंने कुछ नहीं बताया।
मंत्रियों, सांसदों व विधायकों की सब्सिडी बंद की जाए
सबसे बड़ा सुझाव पीएम किसान सम्मान निधि की तरह कुछ वर्गों को बाहर करने का भी दिया गया है। इनमें इंस्टीट्यूशंस को सब्सिडी बंद करने को कहा गया है। साथ ही संवैधानिक पदों पर रहे किसानों, पूर्व और वर्तमान मंत्रियों, विधायकों, सांसदों, पूर्व सांसदों, राज्यसभा सदस्यों, पूर्व राज्यसभा सदस्यों, नगर निगमों के मेयर, जिला पंचायतों के पूर्व और वर्तमान चेयरमैन, राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारी, अधिकारी जिनकी पेंशन दस हजार से ज्यादा है को सब्सिडी से बाहर रखने का सुझाव दिया गया है। आयकर अदा करने वाले किसानों, प्रोफेशनल्स को भी दी जाने वाली सब्सिडी बंद करने की सिफारिश की गई है।
अभी दी जा रही सब्सिडी
- सीमांत किसान : कुल किसान 1,54,412 (89,212 ट्यूबवेल), सब्सिडी राशि 400 करोड़
- छोटे किसान : कुल किसान 2,07,436 (ट्यूबवेल 1,60 581), सब्सिडी 720 करोड़
- छोटे-मझोले किसान : कुल किसान 3,67,938, सब्सिडी 1533 करोड़ रुपये
(नोट : उपरोक्त सभी केटेगरी के पास एक-एक ट्यूबवेल ही है)
- मध्यम वर्ग के किसान (दस से पच्चीस एकड़ वाले) : कुल किसान 3,05,220, (ट्यूबवेल 5,22,294), सब्सिडी 2342 करोड़
- बड़े किसान (25 एकड़ से ज्यादा जमीन वाले) : कुल किसान 57,707 (ट्यूबवेल 2,37,627), सब्सिडी राशि 1065 करोड़
इस तरह की जाती है सब्सिडी की गणना
सब्सिडी की गणना प्रति ट्यूबवेल 44,835 रुपये के हिसाब से की जाती है। राज्य में 13.51 लाख से ज्यादा ट्यूबवेल हैं। दस एकड़ से ज्यादा मध्यम और बड़े किसानों के पास 3.97 लाख ट्यूबवेल ज्यादा हैं। इस वर्ग को अगर सब्सिडी से बाहर कर दिया जाता है तो सरकार इनको दी जाने वाली 3,907 करोड़ रुपये की राशि बचा सकती है।
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