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पंजाब के किसान नेता भूपिंदर मान ने चीफ जस्टिस से बात करने के बाद सुप्रीम कोर्ट की कमेटी छोड़ी

पंजाब के किसान नेता और भाकियू के प्रधान भूपिंदर सिंह मान ने कृषि कानूनोंं और किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति से अलग हाेने से पहले चीफ जस्टिस से बात की थी। उनका कहना है कि नैतिक कारणों से कमेटी की सदस्‍यता छोड़ी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 09:08 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 09:08 PM (IST)
पंजाब के किसान नेता भूपिंदर मान ने चीफ जस्टिस से बात करने के बाद सुप्रीम कोर्ट की कमेटी छोड़ी
भाकियू प्रधान भूपिंदर सिंह मान की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। Farmers Protest: पंजाब के किसान नेता व भाकियू के प्रधान भूपिंदर सिंह मान ने उन्होंने नैतिक कारणों से तीन कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी की सदस्‍यता छो़ड़ी। मान ने ने आज कहा कि जब किसानों ने कमेटी के सामने पेश होने से ही इन्‍कार कर दिया था तो उनका यह नैतिक फर्ज था कि इस कमेटी से अलग हो जाएं। कमेटी से अलग होने से पहले उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से बात की थी।

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भूपिंदर सिंह मान ने  एक खास बातचीत में कहा, यह फैसला मैंने अचानक नहीं लिया है बल्कि इस बारे में मैंने सर्वाेच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से बात की और अपनी मजबूरी के बारे उन्हें बताया। हालांकि वह कह रहे थे कि उन्हें इस कमेटी में रहना चाहिए लेकिन मैंने उनसे कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकते, आपने मुझे पर विश्वास जताया, इसका आभारी हूं।

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एक सवाल के जवाब में भूपिंदर मान ने कहा कि 12 जनवरी को जब सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया तो मेरे नाम को लेकर कुछ दुविधा थी और मेरे पास कोई पत्र भी नहीं था जिससे मैं कोई प्रतिक्रिया दे पाता। किसानों द्वारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई कमेटी को खारिज करने के तुरंत बाद ही मेरे पास फोन आने शुरू हो गए। मैंने उन्हें कोई जवाब देने की स्थिति में उस समय नहीं था, क्योंकि मेरे पास तो कोई पत्र आया ही नहीं था। इसीलिए मैंने उसी दिन फोन बंद कर दिया। कल जब सुप्रीम कोर्ट के विशेष संदेशवाहक ने पत्र की कापी लेकर आया तो मैंने तुरंत मुख्य न्यायाधीश से बात करके अपना बयान मीडिया के लिए जारी कर दिया।

उन्होंने कहा कि जब आंदोलन कर रहे किसान ही कमेटी के सामने पेश नहीं होना चाहते तो इस कमेटी में रहने का कोई मतलब नहीं रह जाता। हालांकि उन्हाेंने कहा कि अगर मैं इस कमेटी में रहता और किसान इसके सामने पेश होते तो मैं उनकी बात ज्यादा अच्छे तरीके से रख सकता था। खैर, जो उन्होंने फैसला लिया, मैं उसे स्वीकार करता हूं।

भूपिंदर मान ने यह नहीं बताया कि उनके नाम का चयन सुप्रीम कोर्ट ने कैसे किया, लेकिन इतना जरूर कहा कि वह पिछले कई सालों से किसानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मान ने कहा, राज्यसभा का सदस्‍य रहते हुए सबसे पहले मैंने ही अर्थशास्त्रियों के इस तर्क को काटा था कि किसान आयकर अदा नहीं करते। उन्होंने कहा कि आज भी किसान सबसे ज्यादा टैक्‍स अदा करते हैं। मेरे बयान के बाद ही किसान नेता शरद जोशी ने इस मुद्दे को उठाया और दावा किया कि पूरे देश में तीन लख करोड़ रुपये का टैक्स किसान अदा करते हैं।

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