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पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ बोले- विधानसभा में पास कृषि बिलों पर चुप क्यों हैं सुखबीर

पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने कृषि बिलों के मुद्दे पर अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल पर निशाना साधा। कहा कि विधानसभा में कृषि बिल पास होने के बाद सुखबीर सिंह बादल ने चुप्पी क्यों साधी हुई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 11:17 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:17 PM (IST)
पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ बोले- विधानसभा में पास कृषि बिलों पर चुप क्यों हैं सुखबीर
सुनील जाखड़ एवं सुखबीर सिंह बादल। फाइल फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। कांग्रेस के पंजाब प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) ने अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) को कृषि बिलों पर चुप्पी साधने को लेकर घेरा है। पंजाब भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जाखड़ ने कहा, विधानसभा में बिल के पास होने के बाद सुखबीर बादल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि वह अभी भी भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। जाखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में कृषि समर्थक बिल लाकर इतिहास रचा है। यह पंजाब की अर्थव्यवस्था को बचाएगा।

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जाखड़ ने घोषणा की कि विधानसभा में पास कृषि बिलों को लेकर कांग्र्रेस पार्टी गांव-गांव जाएगी और जागरूकता अभियान चलाकर किसानों को सचेत करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि कानूनों (Agricultural law, Farms Law) के खिलाफ पंजाब सरकार के इस कदम ने अन्य राज्यों की सरकारों को भी एक नया रास्ता दिखाया है। वे भी अपने संबंधित विधानसभा में इस प्रकार के बिल भी पारित करने की कोशिश करेंगे।

आप पर निशाना साधते हुए जाखड़ ने कहा कि आप विधायकों ने विधानसभा में इन बिलों का समर्थन किया, लेकिन कुछ समय बाद बिलों की आलोचना करना शुरू कर दिया। इससे इनका दोहरा चरित्र सामने आ गया। इसी तरह अकाली दल ने कम से कम तीन महीने तक बिल को लेकर मोदी सरकार की सराहना की, लेकिन किसानों के क्रोध के डर से इसके नेताओं ने अचानक ही केंद्र सरकार के किसान विरोधी कानूनों को 'काले कानून' बताना शुरू कर दिया।

पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि अकाली दल और आप नेता बार-बार खुली मंडी की घोषणा करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इससे छोटे व्यापारियों को नुकसान होगा, क्योंकि अगर राज्य को खुली मंडी घोषित किया जाता है तो सभी सीमांत व्यापारी मंडी के दायरे में आ जाएंगे।

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