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सुनील जाखड़ बोले- मेरे हटने से पार्टी एकजुट होती है तो पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष पद छोड़ने को तैयार

Punjab Congress Strife पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि वह पार्टी की एकजुटता और मजबूती के लिए अपना पद छोड़ने को तैयार हैं। पार्टी को अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव पूरी मजबूती से लड़ना कि लिए एकजुट होना होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 05:23 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 07:02 AM (IST)
सुनील जाखड़ बोले- मेरे हटने से पार्टी एकजुट होती है तो पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष पद छोड़ने को तैयार
चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष सुनील जाखड़। (एएनआइ)

चंडीगढ़, जेएनएन/एएनआइ। Punjab Congress Strife: पंजाब कांग्रेस में कलह काे लेकर पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ ने बड़ी बात कही है। खुद को पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद से हटाए जाने की चर्चा के बीच जाखड़ ने यहां कहा कि यदि मुझे हटाए जाने से पार्टी एकजुट होती है तो मैं पद छोड़ने को सहर्ष तैयार हूं।

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यहां मीडिया से बातचीत के दौरान जाखड़ ने यहां मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस को अगला विधानसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ना चाहिए। मैं पूरे मामले में पहले दिन से कह रहा हूं कि यदि किसी और को पंजाब कांग्रेस कमेटी का अध्‍यक्ष बनाने से पार्टी मजबूत होती है तो मुझे हटा देने चाहिए। मैं अध्‍यक्ष पद से हटने को तैयार हूं। पंजाब कांग्रेस के विवाद के मामले में तीन नेताओं की कमेटी द्वारा पार्टी की राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी गई रिपोर्ट के बारे में पूछने पर जाखड़ ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार पार्टी जो भी कदम उठाएगी वह सब को मंजूर होगा। रिपोर्ट में क्‍या है यह अभी किसी को नहीं पता है।

 जाखड़ ने कहा कि पंजाब में धर्म और वर्ग की राजनीति से माहौल खराब करने की कोशिश हाे रही है। ऐसे में कांग्रेस को एकजुट और मजबूत होना होगा। बता दें कि कांग्रेस आलाकमान द्वारा पार्टी की पंजाब इकाई में विवाद के हल के लिए तीन नेताओं पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत, जयप्रकाश अग्रवाल और मल्लिकार्जुन खड़गे की कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने पंजाब के सांसदों, विधायकों, नेताओं और मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह से बातचीत की। इसके बाद कमेटी ने एक दिन पहले पार्टी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपाेर्ट सौंप दी।

 बताया जाता है कि रिपोर्ट में पंजाब में कांग्रेस संगठन और राज्‍य सरकार में फेरबदल का सुझाव दिया गया है। चर्चाएं हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू को कैप्‍टन कैबिनेट में उपमुख्‍यमंंत्री या राज्‍य कांग्रेस का प्रधान बनाया जा सकता है। कैबिनेट से कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है।

कैप्‍टन अमरिंदर सिंह का खेमा रिपोर्ट सो‍निया गांधी को साैंपे जाने के बाद लाबिंग में जुटा

कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद दी है अब गेंद सोनिया गांधी के पाले में है कि वह किस प्रकार से अंतर्कलह का समाधान ढूंढती हैं। माना जा रहा है कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पार्टी और सरकार में सोशल इंजीनियरिंग से लेकर एडजस्टमेंट तक के मुद्दे उठाए है। वहीं, कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया है कि बड़ी संख्या में विधायकों ने 2022 के चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व पर ही सवाल खड़े कर दिए है।

इधर, मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और उनके खेमा ने भी अपने हक में लाबिंग शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री लगातार पिछले दो-तीन दिनों से सांसदों के साथ मुलाकात कर रहे है। वहीं, कैप्टन के करीबी एक मंत्री भी दिल्ली से लेकर पंजाब तक लाबिंग करने में जुटे हुए हैं।  जानकारी के अनुसार पटियाला जिले से ही संबंधित एक विधायक जोकि कभी मुख्यमंत्री के करीबी हुआ करते थे ने कमेटी के सामने यहां तक कह दिया कि अगर 2022 में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव लड़ती है तो भारी नुकसान होगा।

बताया जाता है कि कमोवेश इसी तरह की बाते कई और विधायकों ने भी कही है। कई मंत्रियों ने भी इस बात का जिक्र किया है। उन्होंने भी मुख्यमंत्री के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए है। वहीं, यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री न तो पहुंच में है बल्कि सरकार पर अफसरशाही हावी है। जानकारी के अनुसार कमेटी ने इन बातों का भी अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है।

पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्र बताते हैं कि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ इतनी मुखालफत होगी इसका अंदाजा पार्टी हाईकमान को भी नहीं था। भले ही मुखालफत की शुरूआत बेअदबी मामले में इंसाफ और अकाली दल के साथ मिलीभगत की धारणा के साथ शुरू हुआ हो लेकिन धीरे-धीरे यह मामला विभागीय कामकाज से लेकर राजनीतिक फैसलों तक पहुंच गया।

जानकारी के अनुसार कमेटी ने बेअदबी और कोटकपूरा व बहबलकलां गोली कांड जैसे विषय को खासा महत्वपूर्ण तो बताया है लेकिन इस संबंध में पार्टी अध्यक्ष से ही फैसला लेने की सिफारिश की है। वहीं, कमेटी ने नवजोत सिंह सिद्धू को एडजस्ट करने की बात तो की है लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उन्हें सरकार में एडजस्ट किया जाएगा या पार्टी में। चर्चा यह भी थी कि सिद्धू को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते है, वर्तमान में पंजाब की राजनीति एसे भंवर जाल में फंसी हुई दिखाई दे रही है जहां से निकलना आसान नहीं होगा, जबकि इसे अगर यथावत छोड़ दिया जाए तो 2022 की राह धुंधली हो जाती है। अतः अंतिम फैसला सोनिया गांधी को ही करना होगा। क्योंकि सरकार और पार्टी में जितनी अंतर्कलह देखने को मिल रही है, उसे हल करने के लिए उन्हें ही आगे आना होगा।


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