चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। Punjab Vidhan Sabha Chunav 2022: कांग्रेस पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अपने उम्मदवाराें की पहली सूची जारी कर चुकी है और दूसरी सूची जल्द ही घोषित कर सकती है। इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को फिर झटका लग सकता है। इस बार उनको यह झटका बंगा सीट पर लग सकता है। यहां से उनके करीबी हुसनलाल टिकट की दौड़ से आउट हो गए हैं।
'दागी' रहे मंत्रियों को टिकट देकर कांग्रेस ने एक तरह से दिया क्लीनचिट
कांग्रेस ने 86 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में तीन दागी रहे पूर्व मंत्रियों को टिकट देकर उन्हें एक तरह से क्लीनचिट दे दी है। सितंबर में कैप्टन अमरिंदर सिंह का तख्तापलट के बाद इन मंत्रियों को केवल इसलिए कैबिनेट से हटा दिया गया था क्योंकि इन पर भ्रष्टाचार के आरोप थे। वहीं, राजनीतिक रूप से हाट सीट बनी बंगा (सुरक्षित) में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को झटका लगना तय है। इस सीट से मुख्यमंत्री के प्रिसिंपल सेक्रेटरी हुसन लाल भी दावेदारी कर रहे थे। लेकिन ताजा हालात में उनके नाम अब कहीं नहीं है। इससे पहले चन्नी को बस्सी पठाना में भी झटका लगा था।
13 विधायकों का नाम पहली लिस्ट में नहीं, आधा दर्जन की कट सकती है टिकट
बस्सी पठाना में मुख्यमंत्री के भाई डा. मनोहर सिंह ने चुनाव लड़ने के इरादे से पिछले माह एसएमओ के पद से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी ने सीट पर विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी पर ही दांव खेला। इसी प्रकार रायकोट से पार्टी ने सांसद डा. अमर सिंह के बेटे कमिल अमर सिंह को टिकट दिया है, जबकि इस सीट से आप के विधायक जगतार सिंह जग्गा हिस्सोवाल चलती विधान सभा में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। चन्नी ने उनके हितों को सुरक्षित रखने का वायदा किया था। वहीं, चन्नी को गणशंकर में भी बड़ा झटका लगा था। क्योंकि, चन्नी यहां से निमीषा मेहता के लिए टिकट मांग रहे थे। लेकिन, यहां के टिकट में सुनील जाखड़ की चली और पार्टी ने यूथ कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रधान अमरप्रीत सिंह लाली को टिकट दिया
भ्रष्टाचार को लेकर चिन्हें हटाया कैबिनेट से, फिर टिकट देकर उम्मीदवार बनाया
कैप्टन अमरिंदर सिंह का तख्ता पटल होने और चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस ने बलबीर सिद्धू, सुंदर शाम अरोड़ा और साधू सिंह धर्मसोत को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को देखते हुए कैबिनेट से बाहर कर दिया था। बलबीर सिद्धू ने तो जनता के सामने अपनी बेगुनाही पेश की लेकिन अब पार्टी ने तीनों को ही क्लीन चिट दे दिया। जबकि साधू सिंह धर्मसोत पर पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले के गंभीर आरोप लगे थे। इसमें उनकी संलिप्तता भी सामने आई थी लेकिन पार्टी अब इसे मीडिया ट्रायल का नाम दे रही है। वहीं, पार्टी सूत्र बताते हैं कि चूंकि नाभा में कोई दूसरा उम्मीदवार ही नहीं था इसलिए धर्मसोत को ही पुन: टिकट देना पार्टी की मजबूरी थी।
भुल्लर, सतकार कौर, तरसेम डीसी का टिकट कटना तय
कांग्रेस ने 86 उम्मीदवारों की लिस्ट में 13 विधायकों को शामिल नहीं किया है। इन 13 में से आधा दर्जन विधायकों की टिकट कट सकती है। जिसमें से खेमकरण से सुखपाल भुल्लर, फिरोजपुर देहाती से सतकार कौर और अटारी से तरसेम डीसी का टिकट कटना तय है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि 13 में कई विधायकों पर रेत के अवैध कारोबार में लिप्त होने के गंभीर आरोप है। लेकिन इनके आर्थिक रूप से संपन्न होने के कारण पार्टी कइयों की टिकट काटने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।
फाजिल्का से दविंदर सिंह घुबाया की सीट बदली जा सकती है। उन्हें फिरोजपुर (ग्रामीण) से उतारा जा सकता है। जबकि जलालाबाद के विधायक रमिंदर आंवला को गुरुहरसहाय में शिफ्ट किया जा सकता है। इस सीट से सुखबीर बादल अकाली दल के उम्मीदवार है।
गिल से कुलदीप सिंह वैद भी अपनी सीट बदलने की मांग कर रहे हैं। वह जगराओं से चुनाव लड़ना चाहते हैं। क्योंकि वैद की अपने हलके में खासा विरोध है। शुतराना के विधायक निर्मल सिंह शुतराना का सर्वे भी ठीक नहीं आया है। अमरगढ़ से सुरजीत धीमान भी सुनाम से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
भोआ से जोगिंदर पाल भी अटके हुए है। जोगिंदर पाल के लिए मुख्यमंत्री और सिद्धू दोनों ही जोर लगा रहे हैं, जबकि सुनील जाखड़ उनका विरोध कर रहे है। समराला से अमरीक ढिल्लों को भी पहली सूची में नामांकित नहीं किया गया है। वह अपने पारिवारिक सदस्यों को टिकट दिलवाना चाहते है। नवांशहर के अंगद सिंह भी पहली सूची में नहीं थे। उनकी पत्नी, जो यूपी में विधायक हैं, हाल ही में कांग्रेस छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल हो गईं। खडूर साहिब से रमनजीत सिक्की का टिकट भी रुका हुआ है। क्योंकि, क्षेत्र के मौजूदा सांसद जसबीर सिंह डिंपा ने टिकट पर अपना दावा पेश किया है।
बटाला पर नहीं निकल रहा रास्ता
कांग्रेस ने भले ही तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को बटाला की बजाए फतेहगढ़ चूड़िया से ही टिकट दिया है लेकिन पार्टी यहां से अश्वनी सेखड़ी को भी टिकट देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। भले ही सिद्धू सेखड़ी के लिए खड़े हो लेकिन पार्टी को यह आशंका है कि बाजवा को विश्वास में लिए बगैर अगर सेखड़ी को टिकट दिया जाए तो यह सीट निकलनी मुश्किल है। पार्टी विचार कर रही है कि किसी दूसरे हिंदू चेहरे को यहां से उतारा जाए या फिर पहले बाजवा और सेखड़ी को एक साथ बैठाकर बात की जाए। इसके अलावा, बटाला जैसे निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां अश्विनी सेखरी सबसे आगे हैं और पीपीसीसी प्रमुख नवजोत सिद्धू द्वारा समर्थित हैं। लेकिन अभी तक उस टिकट की घोषणा नहीं हुई है।
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