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कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान संगठनों से कल बातचीत करेंगे पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मिलने से पहले किसानों को मनाने की कवायद शुरू की है। कैप्टन कल यानी शनिवार को राज्य के कृषि संगठनों के प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे ।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Fri, 20 Nov 2020 01:01 PM (IST)
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पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।
चंडीगढ़ [इंद्रप्रीत सिंह]। केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर पंजाब में किसान संगठनों के चल रहे विरोध के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह शनिवार को सभी संगठनों से बात करेंगे। मुख्यमंत्री ने इसका संकेत वीरवार देर शाम दिए एक बयान में दिया था। किसान संगठनों से बातचीत के लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी के नेता और ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा कि किसान संगठनों के साथ कल सीएम की मीटिंग हो सकती है।

मीटिंग चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन में दोपहर डेढ़ बजे होगी। सीएमओ की ओर से सभी 31 किसान संगठनों को न्योता भेज दिया गया है। पंजाब किसान यूनियन के प्रधान रुलदू सिंह ने इसकी पुष्टि की है। सीएम से मीटिंग करने से पहले सभी किसान संगठन सुबह 11 बजे किसान भवन में बैठक करेंगे और सीएम के पास उठाए जाने वाले मामलों पर विचार किया जाएगा।  

बता दें, मुख्यमंत्री  कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कृषि कानूनों के विरोध में रेलों के रोके जाने से पंजाब में बढ़ रहे आर्थिक संकट को लेकर केंद्र सरकार को बड़ा दिल रखने की अपील की थी और कहा था कि वे मालगाड़ियों को फिर से शुरू करें। ऐसा करने के बाद किसान यात्री गाड़ियां चलाने के लिए मान जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे, लेकिन उससे पहले वह किसान संगठनों से भी बातचीत करेंगे।

मुख्यमंत्री ने किसान संगठनों से कहा है कि पहले कोविड के कारण इंडस्ट्री का तीस हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो गया है। गेहूं की बुआई हो चुकी है, लेकिन अब यूरिया की किसानों को जरूरत है और यह आ नहीं रहा है। पंजाब से खाद्यान्न जो दूसरे राज्यों को जाना था वह तीस लाख टन नहीं जा पाया है, जिसके चलते अब गोदामों में जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि रेल रोके जाने से पंजाब का आर्थिक रूप से बहुत नुकसान हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा था कि जब राज्य सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ उनका पूरा साथ दे रही है तो उन्हें भी राज्य सरकार को सहयोग देना चाहिए।

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