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Punjab Assembly Special Session: इमरजेंसी बनाम अनुच्छेद 370 में उलझा संविधान दिवस

Punjab Assembly Special Session 70वें संविधान दिवस पर पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र इमरजेंसी बनाम अनुच्छेद 370 के बीच में उलझ कर रह गया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 02:40 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 07:53 AM (IST)
Punjab Assembly Special Session: इमरजेंसी बनाम अनुच्छेद 370 में उलझा संविधान दिवस
Punjab Assembly Special Session: इमरजेंसी बनाम अनुच्छेद 370 में उलझा संविधान दिवस

चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। Punjab Assembly Special Session: 70वें संविधान दिवस पर पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र इमरजेंसी बनाम अनुच्छेद 370 के बीच में उलझ कर रह गया। कांग्रेस जहां इमरजेंसी को लेकर बचाव की भूमिका में रही, लेेेेेकिन महाराष्ट्र और अनुच्छेद 370 को लेकर अकाली दल-भाजपा को घेरती रही। 

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पंजाब सरकार द्वारा संविधान दिवस पर 'मूलभूत जिम्मेदारी' को लेकर पेश किए गए प्रस्ताव पर बहस करते हुए अकाली दल के परमिंदर सिंह ढींढसा ने कहा, संविधान दिवस तो मना रहे हैंं, लेकिन मंत्रियों व विधायकों को पावर मिल रही है। हम अपने अधिकारियों के प्रति तो सजग है लेकिन मूलभूत जिम्मेदारी के प्रति सजग नहीं है। वहीं, मनप्रीत बादल ने कहा कि 70 साल पहले पाकिस्तान बना था। दोनों देश एक साथ चले थे लेकिन आप पाकिस्तान फेल हो गया क्योंकि उन्होंने अपने सरकारी सिस्टम को ही खत्म किया।

मनप्रीत ने इमरजेंसी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत रूस के साथ था। इसी कारण से अमेरिका और इसकी एजेंसी सीआइए भारत को अस्थिर करना चाहती थी, इसीलिए इमरजेंसी लगानी पड़ी था। इस पर ढींढसा ने सवाल उठाया कि क्या मंत्री इमरजेंसी को सही ठहरा रहे हैंं? जबकि आप के विधायक बुध राम ने कहा कि 1975 में अगर इमरजेंसी नहीं लगती तो देश बहुत आगे जाता। बुधराम ने यह सवाल उठाया कि संविधान के साथ हमेशा ही खिलवाड़ किया गया। 1976 तक शिक्षा राज्य का विषय होता था। ऐसे ही कई अधिकार राज्यों से छीन लिए गए।

चन्नी और मजीठिया उलझे

तकनीकि शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने संविधान को लेकर अकाली दल पर हमला किया। कहा कि अकाली दल राज्यों के अधिकारों के लिए लड़ता रहा, लेकिन अनुच्छेद 370 पर उसने यू टर्न ले लिया। केंद्र में एक मंत्रालय के लिए अपनी विचारधारा से समझौता कर लिया। चन्नी ने कहा कि अकाली दल बाबा अंबेडकर की बात कर रही है, जबकि प्रकाश सिंह बादल ने 1984 में बाबा साहिब द्वारा लिखे गए संविधान को फाड़ा। बाबा साहिब जब सिख धर्म को अपनाना चाहते थे तो एसजीपीसी ने उन्हें धर्म नहीं अपनाने दिया। महाराष्ट्र में भी संविधान के साथ खिलवाड़ हुआ। इस पर अकाली दल खासा आक्रामक नजर आया।

ढींढसा ने जहां इस बात के सुुबूत मांगे की एसजीपीसी ने डा. अंबेडकर को कब मना किया, तो बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल ने आर्टिकल 25 का विरोध किया था न कि संविधान का। मजीठिया ने अपने संबोधन में मनप्रीत बादल को लपेटते हुए कहा कि मंत्री यहां पर इमरजेंसी को सही ठहराने की कोशिश कर सकते हैंं लेकिन लोगों ने कभी भी इसे सही नहीं ठहराया।

उन्होंने कहा, चन्नी बताएं कि धारा 370 पर कांग्रेस का क्या स्टैंड है। उन्होंने कहा, इमरजेंसी के दौरान संविधान के चौथे स्तंभ ने बगैर लिखे हुए पेपर छाप दिए। मजीठिया ने स्पीकर की तरफ चर्चा मोड़ते हुए कहा कि एक विधायक इस्तीफा दे देता है फिर बाद में वापस भी ले लेता है। संविधान का उल्लंघन नहीं तो क्या है। अकाली दल के पवन टीनू ने एक राष्ट्र एक टैक्स की तर्ज पर एक राष्ट्र एक शिक्षा करने का मुद्दा उठाया तो कंवर संधू ने कहा कि अमेरिका का संविधान 250 साल पुराना है। अमेरिका ने अभी तक अपने संविधान में मात्र 27 से 28 बार संशोधन किया है, जबकि हम 70 सालों में 100 बार संशोधन कर चुके हैंं।

कैप्टन नहीं आए सदन में

संविधान दिवस पर हुए विशेष सत्र में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हिस्सा नहीं लिया। हालांकि वह इंग्लैंड दौरा खत्म करके दिल्ली जरूर पहुंच गए थे। कहा जा रहा है कि मौसम खराब होने के कारण मुख्यमंत्री का हेलीकाप्टर नहीं उड़ पाया। जिस कारण वह सदन में नहीं पहुंचे।

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