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विधानसभा सत्र के बीच विपक्ष को मिला मुद्दा, पठानकोट में बरामदे में महिला के बच्चे को जन्म देने पर गरमाई सियासत

पठानकोट में सिविल अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण एक महिला ने लेबर रूम के बाहर ही बच्चे को जन्म दे दिया। इसकी वीडियो वायरल होने के बाद मामला गरमा गया। मामले पर राज्य में राजनीति भी गरमा गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 30 Sep 2022 10:09 AM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2022 10:09 AM (IST)
विधानसभा सत्र के बीच विपक्ष को मिला मुद्दा, पठानकोट में बरामदे में महिला के बच्चे को जन्म देने पर गरमाई सियासत
पठानकोट मामले में अश्विनी शर्मा ने सरकार को घेरा।

जेएनएन, पठानकोट/चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा सत्र के बीच पठानकोट सिविल अस्पताल में स्टाफ की लापरवाही के कारण महिला द्वारा बरामदे में बच्चे को जन्म देने का मामला गरमा गया है। मामले पर राजनीति शुरू हो गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने मामले पर भगवंत मान सरकार को घेरा। 

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शर्मा ने कहा कि आप सरकार में इंसानियत और शर्म दोनों ही मर चुके हैं। इस सारे प्रकरण को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं द्वारा जिला अध्यक्ष विजय शर्मा की अध्यक्षता में पीड़ित परिवार के हक में पंजाब सरकार तथा अस्पताल प्रशासन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हुए पुतला फूंक कर प्रदर्शन भी किया। 

अश्वनी शर्मा ने कहा कि इस सारे प्रकरण के जिम्मेदार मुख्यमंत्री भगवंत तथा उनके स्वास्थ्य मंत्री जौड़ामाजरा हैं। स्वास्थ्य मंत्री को इस घटनाक्रम की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। भगवंत मान आम आदमी क्लीनिक खोलकर पंजाब की जनता को बढ़िया स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावे करते हैं, लेकिन हकीकत इसके विपरीत हैं।

ये है मामला

मंगलवार की रात एक महिला डिलीवरी के लिए सिविल अस्पताल पठानकोट पहुंची, लेकिन स्टाफ ने उसे भर्ती करने से मना कर दिया। महिला दर्द के कराह रही थी। आखिरकार उसने लेबर रूम के बाहर ही बरामदे में बच्चे को जन्म दे दिया। मामले में डीसी द्वारा जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। 

महिला की थी पांचवी डिलीवरी

एसडीएम काला राम कंसल का कहना है कि उन्होंने मामले में एसएमओ व महिला डाक्टर से पूछा। बताया गया कि महिला मरीज ने इससे पहले कभी अस्पताल में कोई टेस्ट नहीं करवाए गए थे व न ही उसकी अस्पताल में कोई फाइल बनी हुई थी। साथ ही, महिला की यह पांचवीं डिलीवरी थी, इसलिए डाक्टर की ओर से टेस्ट करवाने के लिए कहा गया था, लेकिन गर्भवती के परिजनों ने टेस्ट करवाने से मना कर दिया था।

जांच के लिए चार सदस्यीय टीम गठित

सहायक सिविल सर्जन डाक्टर अदिति सलारिया का कहना है कि जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी ने वीरवार को ही जांच शुरू कर दी है। 


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