पीयू की सिंडीकेट रही हंगामेदार, प्रो. एसके तौमर को डीन रिसर्च के पद से हटाया
पंजाब यूनिवर्सिटी की इस साल की अंतिम सिंडीकेट बैठक हंगामे से भरपूर रही। बैठक शुरू होते ही पहला मुद्दा डीन रिसर्च प्रो. एसके तौमर का उठा।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी की इस साल की अंतिम सिंडीकेट बैठक हंगामे से भरपूर रही। बैठक शुरू होते ही पहला मुद्दा डीन रिसर्च प्रो. एसके तौमर का उठा। इस पर सिंडीकेट सदस्यों ने विरोध जताते हुए वीसी से प्रश्न किए कि किस आधार पर प्रो. एसके तौमर को नियुक्त किया गया है। इस सीट पर हमेशा वरिष्ठता के आधार पर सिलेक्शन होती है फिर इस बार क्यों प्रो. एसके तौमर को नियुक्त किया गया है। लंबी बहस के बाद प्रो. एसके तौमर को डीन रिसर्च की पोस्ट से हटा दिया गया और पोस्ट को वरिष्ठता के आधार पर भरने की सहमति बनी। प्रो. तौमर को वीसी ने 26 नवंबर को ही चार्ज सौंपा था।
इसके बाद बैठक में सीजेएम यूनिवर्सिटी से हासिल की हुई फर्जी डिग्री की रिपोर्ट को भी पेश किया गया। इसे मंजूर करने के बाद मामले पर कानूनी सलाह लेने की बात हुई। कानूनी सलाह के बाद ही मामले पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि डीएवी कॉलेज में कार्यरत मनदीप जोसन और गगनदीप सिंह बराड़ के पास फर्जी डिग्री थी, जिसे पूर्व वीसी प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर ने सहमति देते हुए नियुक्ति दे दी थी।
पहले की तरह लगेगी हाजिरी
सिंडीकेट में स्टूडेंट्स के लिए एक बुरी खबर रही। बीते सोमवार को पीयू प्रशासन ने सर्कुलर जारी कर कहा था कि स्टूडेंट्स की क्लास में 55 प्रतिशत हाजिरी होना अनिवार्य है। उसके बाद 10 प्रतिशत हाजरी आगाज जैसे फेस्ट में भाग लेने और 10 प्रतिशत हाजरी डीएसडब्ल्यू और चेयरपर्सन की तरफ से दिए जाने का ऐलान किया गया था। बैठक में सदस्यों ने कहा कि यह तो गलत तरीके से जारी किया गया सर्कुलर है। इसे रोल बैक करने की जरूरत है। इस पर सहमति बनी कि इस सेशन वाले बच्चों को एग्जाम देने दिए जाएं, क्योंकि अभी एग्जाम शुरू हो चुके हैं। आगे के लिए इस सर्कुलर को वापस लिया जाएगा। अब पहले की तरह ही हाजरी लगेगी।
यौन शोषण का मुद्दा हुआ विड्रा
सिंडीकेट में रिसर्च स्कॉलर के यौन शोषण मामले को भी उठाया गया। इसमें जांच कमेटी की रिपोर्ट को पेश किया गया, लेकिन मामला हाईकोर्ट में होने के कारण इस एजेंड़े को विड्रा कर दिया गया और मामले पर कोर्ट का फैसला ही अंतिम फैसला मानने की बात स्वीकार की गई। कंस्ट्रशन मामले पर बनेगी कमेटी साउथ कैंपस में चल रहे कंस्ट्रशन मामले को भी सिंडीकेट में उठाया गया। इसमें सिफारिश की गई कि मामले की जांच के लिए टेक्निकल सदस्यों की टीम बनाई जाए और सर्वे करने के बाद आगे की कार्रवाई निश्चित की जाए। उल्लेखनीय है कि साउथ कैंपस में ऑडिटोरियम का काम है जो कि बीते तीन वर्षो से चल रहा है, लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया है।
फाजिल्का कॉलेज को नहीं मिला कोएड का स्टेट्स
फाजिल्का गर्ल्स कॉलेज को कोएड करने का भी मामला भी सिंडीकेट में उठा, लेकिन सिंडीकेट ने इसमें कॉलेज से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी गई है। जब तक कॉलेज खुद इस बात को स्वीकार नहीं करता कि उनके पास इतने साधन हैं कि वहां पर कोएड एजुकेशन चल सकती है, उस समय तक उन्हें यह स्टे्टस नहीं दिया जा सकता है। एग्जामिनेशन कंट्रोलर की कार्यशौली पर उठे सवाल एग्जामिनेशन कंट्रोलर की कार्यशैली पर फिर से सवाल उठे हैं। इस बार आरोप लगा है कि डीसीडीसी के चार्ज के दौरान कई गड़बिड़यां हुई हैं। इस पर एग्जामिनेशन कंट्रोलर प्रो. परिमंदर सिंह के अलावा वर्तमान डीसीडीसी प्रो. संजय कौशिक को बैठक से बाहर कर दिया गया।
एसएफएस ने सौंपे मांग पत्र
सिंडीकेट बैठक शुरू होने से पहले काउंसिल प्रेजिडेंट कनुप्रिया एसएफएस सदस्यों व अन्य स्टूडेंट्स के साथ प्रशासनिक ब्लॉक के बाहर पहुंचीं और वाइस चासंलर प्रो. राजकुमार और सिंडीकेट के सदस्यों को मांग पत्र सौंपे। मांगपत्र में क्लीयर किया गया था कि रात 11 बजे के बाद आने पर जो जुर्माना लगाया जाता है, उसे खत्म कर दिया जाए। इंटर हॉस्टल जाने के लिए छात्रा को कहीं भी रजिस्टर में एंट्री न करनी पड़े। पीयू कैश में स्टूडेंट काउंसिल के सदस्यों का प्रतिनिधित्व होना अनिवार्य है। इस मौके पर एसएफएस के अलावा आइएएसए, पीएसयू ललकार के स्टूडेंट्स भी मौजूद रहे। एससी, एसटी और बीसी इम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन ने भी दिया ज्ञापन बैठक से पहले पंजाब यूनिवर्सिटी एससी, एसटी और बीसी इम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से भी वाइस चांसलर को ज्ञापन दिया गया। इसमें अपील की गई कि पीयू ने टीचिंग और नॉन टीचिंग फैकल्टी को आरक्षण का लाभ दिया हुआ है, लेकिन फोर्थ क्लास कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने मांग की कि आरक्षण का लाभ उन्हें भी दिया जाए।