अल्जाइमर पीड़ितों को बड़ी राहत, पीयू के प्रोफेसर ने तैयार की खास दवा
देश में 37 लाख से अधिक लोग अल्जाइमर से ग्रस्त हैं। अगर आंकड़े ऐसे ही रहे तो 2026 तक देश में अल्जाइमर से पीड़ित लोगों की संख्या 90 लाख से अधिक हो जाएगी।
चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। सत्तर साल की उम्र में हर तीसरा व्यक्ति अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) से ग्रस्त है। देश में 37 लाख से अधिक लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। अगर आकड़े ऐसे ही रहे तो 2026 तक देश में अल्जाइमर से पीड़ित लोगों की संख्या 90 लाख से अधिक हो जाएगी। अभी इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए कोई कारगर दवा नहीं है। मार्केट में उपलब्ध दवाएं काफी महंगी होने के साथ-साथ उनका शरीर पर साइड इफेक्ट अधिक होता है। अल्जाइमर से पीड़ित मरीजों के लिए अच्छी खबर है।
चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के यूविनर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्माश्यूटिकल साइंसेस (यूआइपीएस) में अल्जाइमर की दवा तैयार की है। सीनियर प्रोफेसर और फार्मा इंडस्ट्री के जाने माने साइंटिस्ट प्रो. भूपेंदर सिंह भूप और उनकी टीम ने अल्जाइमर की खास ड्रग्स तैयार करने में सफलता हासिल की है। बीते आठ सालों से पीयू लैब में दवा को तैयार किया जा रहा था।
नई ड्रग का चूहों पर किया गया ट्रायल के काफी अच्छे रिजल्ट सामने आए हैं। सब ठीक रहा तो जल्द मार्केट में अल्जाइमर की सस्ती, असरदार और साइड इफेक्ट रहित दवा लोगों को मिलने लगेगी। इनहेलर की तरह प्रयोग कर सकेंगे दवा को प्रो. बीएस भूप के अनुसार दवा को नोज टू ब्रेन डिलीवरी सिस्टम के तहत इस्तेमाल किया जा सकेगा। नई दवा कई मामलों में काफी खासियत हैं। इसे नाक में पेंच से मरीज के दिमाग तक पहुंचाया जाएगा। इनहेलर या लिक्विड तरीके से भी इसे प्रयोग में लाया जा सकेगा। बेहतर रिजल्ट के लिए दवा को नैनो स्ट्रक्चरल सिस्टम से तैयार किया गया है।
यह दवा मार्केट में मौजूद दवाओं के मुकाबले पाच फीसद अधिक असरदार होगी। मरीज के शरीर पर कोई साइड इफैक्ट नहीं होगा। प्रो. भूप ने बताया कि अल्जाइमर की मार्केट में मौजूदा दवाओं का इफैक्ट ब्रेन की जगह शरीर के अन्य हिस्सों पर अधिक होता है। मरीजों को नई दवा दिन में सिर्फ एक बार लेनी होगी और नई दवा से याददाश्त भी बेहतर होगी। दवा के लिए यूजीसी ने दिया 40 लाख का प्रोजेक्ट पीयू फार्माश्यूटिकल इंस्टीट्यूट को यूजीसी द्वारा 2011 में सेंटर फॉर एक्सीलेंस के तहत अल्जाइमर की ड्रग तैयार करने का प्रोजेक्ट मिला। इस प्रोजेक्ट के लिए यूजीसी ने 40 लाख फंडिंग की।
अहमदाबाद की फार्मा कंपनी ने भी प्रोजेक्ट के लिए 6 लाख की फंडिंग की है। प्रो. भूप के अलावा प्रोजेक्ट में पीयू फार्मास्यूटिकल विभाग से ही शोधकर्ता अनु माथुर, शुभम, मोनिका थापा, सुमनंत सैनी, हरमनजोत कौर और गुनीत सिंह जुड़े हैं। देश की किसी यूनिवर्सिटी में पहली बार अल्जाइमर के लिए इतने बड़े स्तर पर शोध किया गया है। प्रो. भूप के अनुसार दवा के इफेक्ट को लेकर नई दिल्ली एम्स में भी कई टेस्ट सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो साल में दवा का मरीजों पर ट्रायल पूरा कर लिया जाएगा। यूपी और महाराष्ट्र में सबसे अधिक मरीज दुनिया भर में अल्जाइमर के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। 2016 में दुनिया भर में 3.5 करोड़ लोग और भारत में 37 लाख लोग इससे पीड़ित हैं।
10 सालों में इनकी संख्या ढाई गुना तक बढ़ने की उम्मीद है। प्रो. भूप ने बताया कि उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र में अल्जाइमर के मरीज सबसे अधिक हैं, जबकि राजस्थान, गुजरात, बिहार, मध्यप्रेदश, उड़ीसा और हरियाणा का नंबर आता है। देश में दस हजार में से 27 लोगों की मौत अल्जाइमर से होती है। कौन हैं प्रोफेसर बीएस भूप प्रो. भूपेंदर सिंह भूप को फार्माश्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में 35 सालों से अधिक का अनुभव है।
ड्रग रिसर्च के लिए इनके पास 7.10 करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट हैं। नेशनल इंटरनेशनल स्तर पर 360 से अधिक शोधपत्र, 15 किताबों के अलावा दुनिया भर के सभी बड़े रिसर्च सेंटर में 290 से अधिक लेक्चर दे चुके हैं। 31 पीएचडी के अलावा, 6 पोस्ट डॉक्टरेट रिसर्च प्रोजेक्ट करा रहे हैं। पीयू के पूर्व चासलर डॉ. हामिद अंसारी द्वारा प्रो. भूप को पीयू सीनेट के सदस्य भी नॉमिनेट किया गया है।