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कोविड वैक्सीनेशन नीति को हाई कोर्ट में चुनौती, पीयू चंडीगढ़ के छात्र ने कहा- वैक्सीनेशन में उम्र का भेदभाव क्यों

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में पीयू चंडीगढ़ के कानून के छात्र ने केंद्र सरकार के राष्ट्रीय कोविएशन रणनीति (vaccination policy) को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी है। कहा कि इसमें उम्र का भेदभाव क्यों है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 04:05 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 05:04 PM (IST)
कोविड वैक्सीनेशन नीति को हाई कोर्ट में चुनौती, पीयू चंडीगढ़ के छात्र ने कहा- वैक्सीनेशन में उम्र का भेदभाव क्यों
कोविड वैक्सीनेशन पॉलिसी को हाई कोर्ट में चुनौती। सांकेतिक फोटो जागरण

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका के माध्यम से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 21 अप्रैल को जारी राष्ट्रीय कोविएशन रणनीति के आदेश को रद करने की मांग की गई है। इसके तहत 18 से 45 वर्ष की आयु के लोगों को वैक्सीन का काम राज्य सरकार का होगा। केंद्र इसके लिए नि: शुल्क वैक्सीन जारी नहीं करेगा।

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इस आदेश के तहत राज्य सरकारों को वैक्सीन की खरीद कंपनी से खुद करनी पड़ेगी। याचिका में आरोप लगाया गया कि केंद्र सरकार उम्र के आधार पर लोगों के साथ कैसे भेदभाव कर सकती है। जब 45 की उम्र से ज्यादा वालों को नि: शुल्क वैक्सीन लगाई गई है तो बाकी को राज्यों की इच्छा पर कैसे छोड़ दिया जा सकता है।

याचिका में कंपनियों द्वारा कोविशिल्ड व कोवैक्सिन की कीमत तय करने को चुनौती देते हुए इसे रद करने की मांग की गई है। एक रिपोर्ट का हवाला देकर बताया गया कि कोविशिल्ड ने प्राइवेट अस्पतालों के लिए जो रेट तय किए हैं वो दुनिया में सबसे अधिक है, इसलिए इस टीकाकरण का पूरा काम केंद्र निशुल्क तौर पर करे। पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में कानून के छात्र अभिषेक मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका में बताया गया कि कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व भारत बायोटेक द्वारा राज्य सरकार और और निजी अस्पतालों के लिए निर्धारित तय किए गए दाम काफी अधिक हैं।

याचिका में बताया गया कि मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों पर वैक्सीन का खर्च डालना उचित नहीं है। याचिका में बताया गया कि कोविड -19 संक्रमण के चलते पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ के विभिन्न जिलों के साथ-साथ पूरे देश को भी प्रभावित किया है, जिसने सार्वजनिक जीवन को पंगु बना दिया है।

महामारी के मद्देनजर आने वाले कोविड अस्पतालों में कोविड रोगियों के साथ बाढ़ आ गई है और अस्पतालों में मैनपावर और उपलब्ध सुविधाओं की कमी है। ऐसे में केंद्र सरकार टीकाकरण बारे में जारी अपने आदेश को रद  कर सभी वर्ग के लोगो को नि: शुल्क वैक्सीन जारी रखे। याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है।


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