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    पीयू ने सोचने की आजादी की दृष्टि दी, पहले ढाबे पर होती थी विचारों की बहस, आज सड़कों पर उतर आते हैं स्टूडेंट्स

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Sat, 01 Nov 2025 01:48 PM (IST)

    चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी के ग्लोबल मीट में पूर्व छात्र और डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा ने अपने छात्र जीवन की यादें साझा कीं। उन्होंने बताया कि पीयू ने उन्हें सोचने की आजादी दी। उन्होंने विश्वविद्यालय को घर जैसा बताया और अपने सादे जीवन के अनुभव साझा किए, जब छात्र हॉस्टल के कमरे तक बंद नहीं करते थे। हालांकि, डीजीपी के जाने के बाद छात्रों ने किसी बात पर हंगामा किया।

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    पीयू में पुलिस के साथ बहस करते छात्र।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) में शनिवार को छठे ग्लोबल मीट में पूर्व छात्र और चंडीगढ़ के डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा ने अपने छात्र जीवन की यादें साझा की। उन्होंने कहा कि पीयू ने सोचने की आजादी और समाज को समझने की दृष्टि दी। ढाबे पर बैठकर विचारों की बहस होती थी। हालांकि, डीजीपी के जाने के बाद शपथपत्र में शामिल मांगों को पूरा करवाने के लिए स्टूडेंट्स में सभागार में हंगामा किया और बाद में धरने पर बैठ गए।

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     डीजीपी सागर प्रीत की ने अपनी यादों को साझे करते हुए स्टूडेंट्स को शांति का माहौल बनाकर रखने का मैसेज देना था। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी को घर जैसा बताया और यहां के हर कोने से उनकी यादें जुड़ी होने की बात कही। मुस्कुराते हुए कहा कि वे 1989 में यहां आए थे, समाजशास्त्र में मास्टर्स और पीएचडी की। करीब आठ साल इस कैंपस में रहा। उस समय की जिंदगी बहुत सादगीभरी थी, स्टूडेंट्स हॉस्टल के कमरे तक बंद नहीं करते थे।

    किसी के घर से लड्डू आते तो सबके हिस्से में आते और कोई भी किसी के कमरे में जाकर कपड़े पहनकर चला जाता था। संसाधन सीमित थे लेकिन जज्बा असीम था। डीजीपी ने भावुक होते हुए कहा कि एक बार पास में ही रहने वाले एक परिवार ने छात्रों की मदद के लिए अपनी साइकिल दे दी थी ताकि वे बाज़ार जा सकें। वह संवेदनशीलता आज भी उनके दिल में बसती है।