मोहाली में विभिन्न कर्मचारी संगठनों के धरना-प्रदर्शन जारी, चंडीगढ़ में सीएम हाउस घेरने की चेतावनी
मोहाली जिला इन दिनों कर्मचारियों के धरने प्रदर्शनों का केंद्र बना हुआ है। पंजाब के विभिन्न कर्मचारी संगठन सरकार के खिलाफ मोहाली में मोर्चा खोले हुए हैं। शिक्षकों से लेकर ट्रक आपरेटर्स अपनी मांगों को लेकर पक्का मोर्चा लगाए बैठे हैं।
जागरण संवाददाता, मोहाली। मोहाली जिला इन दिनों कर्मचारियों के धरने प्रदर्शनों का केंद्र बना हुआ है। पंजाब के विभिन्न कर्मचारी संगठन सरकार के खिलाफ मोहाली में मोर्चा खोले हुए हैं। शिक्षकों से लेकर ट्रक आपरेटर्स अपनी मांगों को लेकर पक्का मोर्चा लगाए बैठे हैं। जिले में बुधवार को भी उक्त कर्मचारी संगठनों का धरना प्रदर्शन जारी रहा। सर्व शिक्षा अभियान दफ्तरी कर्मचारियों की तरफ से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया गया। वहीं खरड़ में प्रदर्शन कर रहे कच्चे कर्मचारियों ने स्थायी नौकरी की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। जीरकपुर में ट्रक आपरेटरों ने ट्रक यूनियन की बहाली के लिए सरकार के खिलाफ हाईवे पर प्रदर्शन किया गया।
इसके अलावा शहर के फेज-8 की ट्रैफिक लाइट्स पर पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे काउंसिल आफ डिप्लोमा इंजीनियर्स ने प्रदर्शन कर यह निर्णय लिया कि पंजाब के सभी विभागों के इंजीनियर 30 दिसंबर को सामूहिक छुट्टी लेकर मोहाली में विशाल रैली निकालेंगे और चंडीगढ़ स्थित पंजाब सीएम हाउस का घेराव करने के लिए कूच करेंगे।
प्रदेश प्रधान सुखमिंदर सिंह लवली और मनजिंदर सिंह मंतेनंगल ने कहा कि पंजाब के इंजीनियर 6 महीने से संघर्ष और मोहाली में भूख हड़ताल पर हैं। इस दौरान नरिंदर कुमार और कुलवीर सिंह बेनीपाल ने कहा कि पंजाब के सभी जिला केंद्रों पर 23 और 24 दिसंबर को तालमेल कमेटी का गठन किया जाएगा। 30 दिसंबर को मोहाली पहुंचने की रणनीति पर काम किया जाएगा। इस मौके पर करमजीत सिंह बहला, हरमनजीत सिंह धालीवाल, कमरजीत सिंह मान, दलवीर सिंह पंढेर, करमचारी सिंह खोखर, गुरतेज सिंह सीवरेज बोर्ड मौजूद थे।
वहीं, मोहाली में सोहाना गुरुद्वारा के पास धरने पर बैठै पीटीआइ अध्यापकों ने प्रदर्शन किया। ध्यान रहे कि मोहाली में पिछले कई महीनों से अलग अलग कर्मचारी संगठनों की ओर से स्थायी नौकरी को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार की ओर से मांगों को पूरा करने के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में सरकार को इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे।