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अच्छी फिल्म के लिए डायरेक्टर नहीं प्रोड्यूसर भी जरूरी

सिनेमा में अच्छे कंटेंट की चर्चा वर्षों से चल रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 09:59 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 09:59 PM (IST)
अच्छी फिल्म के लिए डायरेक्टर नहीं प्रोड्यूसर भी जरूरी
अच्छी फिल्म के लिए डायरेक्टर नहीं प्रोड्यूसर भी जरूरी

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सिनेमा में अच्छे कंटेंट की चर्चा वर्षों से चल रही है। इसके लिए हम केवल निर्देशक को ही दोष नहीं दे सकते। हर निर्देशक बेहतर कंटेंट के साथ सिनेमा बनाना चाहता है। मगर समस्या आती है एक प्रोड्यूसर ढूंढ़ने में। ऐसे में एक अच्छी फिल्म के लिए केवल एक निर्देशक नहीं, बल्कि निर्माता का होना भी जरूरी है। फिल्म प्रोड्यूसर नम्रता गोयल कुछ इन्हीं शब्दों में एक प्रोड्यूसर की अहमियत पर बात की। फिल्म चुस्किट की स्क्री¨नग के लिए नम्रता मंगलवार को दीक्षांत ग्लोबल स्कूल, जीरकपुर में पहुंचीं। 18 वर्ष से फिल्म प्रोडक्शन में जुटी नम्रता ने कहा कि अभी भारत में विभिन्न विषयों पर फिल्म बन रही है, जो बहुत अच्छा है। आज का दर्शक भी फिल्म के मामले में बहुत जागरूक हुआ है। अब आप दर्शकों को ऐसे ही कोई फिल्म नहीं दिखा सकते। इसमें अगर कंटेंट न हो, तो लोग करोड़ों में बनी फिल्म को भी ठुकरा देते हैं। मेरा भी इंडस्ट्री में आने के पीछे यही वजह थी कि कंटेंट को बेहतर किया जाए। समाज का हिस्सा बनाना चाहती हूं सिनेमा को

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नम्रता, जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल की बेटी हैं, इसके अलावा वह शबाना आ•ामी के एनजीओ मि•ावान वेलफेयर सोसायटी की यूथ प्रेसिडेंट हैं। इसके अलावा कैफी आजमी की विरासत को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से शामिल हैं। नम्रता ने कहा कि सिनेमा को मैं केवल एक एंटरटेनमेंट का जरिया नहीं मानती। ये एक तरीका है लोगों को जागरूकर करने का। समाज का अभिन्न हिस्सा हमारा सिनेमा ही है। ऐसे में सिनेमा के जरिये ही समाज के मुद्दों पर बात हो सकती है। इसी वजह से मैंने क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से फिल्म मे¨कग में ही ट्रे¨नग ली। चुस्किट को बनाने के पीछे भी मेरी वजह समाज से जुड़े मुद्दों को आगे लाना था। ये छह वर्ष की एक शरारती बच्ची की कहानी है, जो लद्दाख के पहाड़ी इलाके में एक दूरदराज के गांव में रहती है। एक तीखे मोड़ पर चुस्किट नीचे गिरती है और विकलांग हो जाती है। फिल्म चुस्किट की ¨जदगी के ट्विस्ट के बारे में है जो हंसाती भी है और डराती भी। नम्रता ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामले हम आज भी सुनते हैं, यकीन नहीं होता कि 21वीं सदी में भी हम इस तरह की सोच में जी रहे हैं। ऐसे में सिनेमा ही ऐसे विषयों पर नई क्रांति लेकर आएगा।


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