पंजाब में किसान कर्ज माफी को लेकर ब्याज पर फंसा पेंच
पंजाब में किसान कर्ज माफी को लेकर पेंच फंस गया है। इसको लेकर वित्तमंत्री मनप्रीत बादल के नेतृत्व में पंजाब का शिष्टमंडल आरबीआइ अधिकारियों से मिला।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। किसान कर्ज माफी को लेकर पंजाब सरकार की स्थिति 'आधा ग्लास खाली, आधा भरा' वाली बनकर रह गई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) ने पंजाब सरकार को थोड़ी राहत दी है, लेकिन ब्याज पर कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है। आरबीआइ ने कहा है कि किसान की मंजूरी हो तो बैंक पंजाब सरकार के साथ डाटा शेयर कर सकते हैं।
सरकार द्वारा किसानों का कर्ज टेकओवर करने पर भी आरबीआई को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन कर्ज माफी तक ब्याज दर 4 फीसद ही रहे, इस पर सहमति नहीं बन पाई है। फिलहाल सरकार इस बात को लेकर आशान्वित है कि आरबीआइ अधिकारियों के साथ बातचीत का दौर शुरू हो गया है।
किसान कर्ज माफी को लेकर पंजाब सरकार के एक उच्चस्तरीय शिष्टमंडल ने आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर डॉ. विरल वी आचार्य व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। शिष्टमंडल में शामिल वित्तमंत्री मनप्रीत बादल, मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार, चीफ सेक्रेटरी करन अवतार सिंह ने किसानों के डाटा शेयर, किसानों के कर्ज को टेकओवर, जब तक कर्ज वापस न हो तब तक किसानों के एकाउंट को एनपीएन न करने आदि मुद्दों को उठाया।
डाटा शेयर करने पर आरबीआइ ने स्पष्ट किया कि अगर किसान अंडरटेकिंग देकर अपना डाटा सरकार से शेयर करना चाहते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है। आरबीआइ ने को-आपरेटिव बैंक के 3600 करोड़ की किश्त जो नाबार्ड को दो देनी है, इसके लिए ऋण लेने पर भी कोई आपत्ति नहीं जताई। किसानों के कर्ज को टेकओवर करने के मामले पर भी आरबीआइ को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मुख्य रूप से पेंच ब्याज को लेकर फंसा है।
किसानों को क्राप लोन मिलता तो चार फीसद ब्याज पर है लेकिन अगर समय पर भुगतान न हो तो वह 12 फीसद तक चला जाता है। पंजाब सरकार आरबीआई से चाहती थी किजब तक सरकार लोन का भुगतान नहीं कर देती तब तक ब्याज दर चार फीसद ही रहे। अगर ऐसा नहीं होता है तो पंजाब सरकार को 3 हजार करोड़ का अतिरिक्त ब्याज भरना पड़ेगा। सूत्र बताते हैं कि इस मामले में आरबीआई के अधिकारियों ने कोई हामी नहीं भरी है।
एनपीए का खतरा नहीं टला
पंजाब सरकार ने आरबीआई के समक्ष प्रस्ताव रखा कि जब तक सरकार टेकओवर किए जाने वाले लोन का भुगतान न कर दे तब तक किसानों का एकाउंट एनपीए न किया जाए। एक बार एकाउंट एनपीए होने पर किसान को कोई भी बैंक लोन नहीं देता है। सरकार को पांच वर्षों में 9500 हजार करोड़ का कर्ज वापस करने की चिंता है। एनपीए पर भी कोई सहमति नहीं बन पाई है।
ऋण कोई भी चुकाए बैंक को कोई आपत्ति नहीं : भसीन
राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी के कनवीनर सुनील भसीन का कहना है कि कर्ज कोई भी चुकाए इसमें बैंक को कोई आपत्ति नहीं है। बैंक को अपना कर्ज वापस चाहिए।
क्या है परेशानी
किसानों पर करीब 70,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। पंजाब सरकार ने पांच वर्षों में 9,500 करोड़ रुपये का कर्ज वापस करने का फैसला किया है जोकि कुल कर्ज का 8 फीसद बनता है। चूंकि कर्ज वापसी एकमुश्त नहीं होनी है, इसलिए समय के साथ ब्याज बढ़ता जाएगा। सरकार की असली परेशानी यही है।
123 किसानों ने की आत्महत्या
पंजाब में कांग्रेस सरकार बनने के बाद 123 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। 43 किसानों ने तो सरकार द्वारा कर्ज माफी की घोषणा के बाद आत्महत्या की है। सबसे ज्यादा मालवा में किसानों ने आत्महत्या की है। सबसे ज्यादा संगरूर, इसके बाद बठिंडा व मानसा के किसानों ने आत्महत्या की है। चूंकि मालवा में छोटी जोत वाले किसान ज्यादा हैं, इसलिए इस इलाके में आत्महत्या की घटनाएं अधिक हैं।
सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाया : मनप्रीत
वित्तमंत्री मनप्रीत बादल का कहना है कि आरबीआई अधिकारियों के साथ हुई बैठक सकारात्मक रही। हमने किसान माफी को लेकर अपना मास्टर प्लान दे दिया है। पहले हमारे पास कर्ज की जानकारी थी लेकिन डाटा नहीं था। अब डाटा भी आ जाएगा जिससे काफी आसानी होगी। ब्याज को लेकर कोई टिप्पणी किए बिना उन्होंने कहा कि किसानों के कर्ज की समस्या हल करने के लिए पंजाब सरकार ने एक और कदम बढ़ा दिया है।
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