सरकार की मुश्किलें बढ़ीं, पटवारियों ने चालान काटने से किया इन्कार
पटवार यूनियन पराली जलाने के मामले में किसानों पर सीधी कार्रवाई के लिए तैयार नहीं हैं। यूनियन ने कहा, पटवारी सिर्फ खेत का नंबर व मालिक का नाम बताएंगे।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। पराली जलाने को लेकर किसानों और सरकार के बीच चल रही रार के बीच प्रदेश सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। किसान जहां पराली जलाने पर अड़े हैं, वहीं पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) उनके खिलाफ कार्रवाई पर अडिग है। इस बीच, पटवारियों ने पराली को आग लगाने वाले किसानों का चालान काटने से इन्कार कर दिया है। रेवेन्यू पटवार यूनियन ने सरकार को बता दिया है कि चालान काटना उनका काम नहीं है।
सरकार की परेशानी यह है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) नियमित रूप से पराली को लेकर सुनवाई कर रहा है। रेवेन्यू पटवार यूनियन के जनरल सेक्रेटरी अमरीक सिंह राय और सीनियर नेता मोहन सिंह भेडपुरा का कहना है कि चालान काटना पटवारियों का काम नहीं है। पटवारी खेत का नंबर और खेत मालिक का नाम बता देंगे। उसके बाद सरकार देखे कि क्या करना है।
आग लगाने वाले किसानों के राजस्व रिकार्ड में रेड एंट्री मामले में राय ने कहा कि इस संबंधी लुधियाना में शनिवार को बैठक की जाएगी। रेड एंट्री के संबंध में अभी तक कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि साइंस एंड टेक्नोलाजी विभाग ने निर्देश दिए थे कि जो किसान पराली को आग लगाते है, राजस्व रिकार्ड में उनकी रेड एंट्री की जाए। इसे लेकर अभी पटवार यूनियन किसी अंतिम फैसले पर पहुंच नहीं पाया है।
जिला स्तर पर बनाई जा रही कमेटियां
पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए सभी डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिए गए हैं कि जिला स्तर पर कमेटी बनाई जाए। जिसमें कृषि क्षेत्र के प्रतिनिधि, बीडीओ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रतिनिधि, तहसीलदार आदि हो। जो न सिर्फ किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरूक करें बल्कि पराली जलाने वाले के विरुद्ध कार्रवाई भी करें। इन कमेटियों का गठन जिला स्तर पर शुरू हो गया है।
चालान की जिम्मेदारी डीसी तय करें : पन्नू
पीपीसीबी के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू का कहना है कि हमारा उद्देश्य पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकना है। जागरूकता पैदा की जा रही है और किसान जागरूक हो भी रहे हैं। पटवारी अगर चालान नहीं काटेंगे तो डिप्टी कमिश्नर को देखना होगा कि वह किसे जिम्मेदारी देते हैं। किसानों को भी सोचना होगा कि प्रदूषण अगर हमारे भविष्य को नुकसान पहुंचा रहा है तो उसका असर सभी के ऊपर आना है।
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