इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट के बाद सीटीयू डिपो का निजीकरण
कई डिपार्टमेंट का निजीकरण करने की प्रक्रिया इन दिनों जोरों पर है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कई डिपार्टमेंट का निजीकरण करने की प्रक्रिया इन दिनों जोरों पर है। इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट के बाद अब चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिग (सीटीयू) के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसकी शुरुआत वर्कशॉप को प्राइवेट हाथों में सौंपने से हो रही है। सीटीयू ने सबसे पहले इंडस्ट्रियल एरिया स्थित डिपो नंबर-टू वर्कशॉप को प्राइवेट करने की तैयारी कर ली है। इसकी बसें 30 अक्टूबर तक हैंडओवर करने को कहा गया है। सीटीयू वर्कर्स ने मंगलवार को ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। सीटीयू कंडक्टर यूनियन, सीटीयू वर्कर्स यूनियन, सीटीयू इंप्लाइज यूनियन और सीटीयू एससी बीसी वेलफेयर एसोसिएशन ने मैनेजमेंट के गलत फैसलों और डिपो-टू की वर्कशॉप को प्राइवेट ठेकेदार को देने के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए काले झंडों के साथ विरोध प्रदर्शन किया। यूनियन नेता चरणजीत सिंह ढींडसा, धर्मेंद्र सिंह राही, सतिदर सिंह और कर्मजीत सिंह ने कहा कि सीटीयू मैनेजमेंट के गलत फैसलों को वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। डिपो दो की वर्कशॉप को प्राइवेट ठेकेदार को सौंपा जा रहा है और वर्कशॉप के कर्मचारियों के तबादले हो रहे हैं। इस डिपो के बाद पूरी सीटीयू को प्राइवेटाइजेशन कर दिया जाएगा। कर्मचारी इस धक्केशाही को बर्दास्त नहीं करेंगे। प्रदर्शन को कर्मचारी नेता रणजीत सिंह हंस, भूपिदर सिंह, देवेंद्र सिंह, गुरमेल सिंह दारा, नरिदर पाल सिंह, गुरलाभ सिंह, निर्मल सिंह, ओमप्रकाश, महबूब अली, जसविदर सिंह और बलदेव सिंह ने भी संबोधित किया। यूनियन ने गिनाए यह गलत फैसले
सतिदर सिंह ने बताया कि प्रमोशन के लिए टालमटोल किया जा रहा है। कर्मचारियों की आवाज को दबाने के लिए सस्पेंड किया जा रहा है। उन्होंने डिपो एक में ड्यूटी सेक्शन ऑफिसर पर आरोप लगाया कि वह ड्राइवरों और कंडकटरों को तंग कर रहे हैं। अधिकारी ने अपने चहेतों को कंडकटर ड्यूटी से हटाकर वर्कशॉप या आइएसबीटी-43 पर लगाया। सिक्योरिटी गार्ड से जुड़े घोटाले के बाद इन्हें आइटी सेल में लगा दिया। रिटायर कर्मियों को पेंशन का लाभ समय पर नहीं दिए जा रहे। तीन-तीन साल से वर्दी के पैसे नहीं दिए। बसों में 50 फीसद सवारी बैठाने की शर्त खत्म करने की मांग भी की। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर डिपो प्राइवेट करने का फैसला वापस नहीं हुआ तो 15 दिनों के बाद संघर्ष तेज किया जाएगा।