प्राइवेट स्कूलों को रास नहीं आया प्रशासन का फरमान
फीस बढ़ोतरी को लेकर प्राइवेट स्कूल और प्रशासन एक बार फिर आमने-सामने।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़ :
फीस बढ़ोतरी को लेकर प्राइवेट स्कूल और प्रशासन एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। बुधवार को प्रशासक वीपी सिंह बदनौर द्वारा लिए गए फैसले को प्राइवेट स्कूलों ने मानने से साफ इन्कार कर दिया है। जिससे एक बार फिर इसका सीधा असर पेरेंट्स को होने वाला है। प्रशासक के फैसले के बाद इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन (आइएसए) ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी है। प्राइवेट स्कूलों का तर्क है कि एक तरफ तो पहले प्रशासन स्वयं कहता है कि 31 मई तक सभी पेरेंट्स स्कूल को दो महीने की फीस जमा करवाएं। वहीं अब प्रशासन फैसला कर रहा है कि प्राइवेट स्कूल फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकते हैं। इसके लिए हाई कोर्ट से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा कि प्रशासन के कौन से फैसले को माना जाए। पेरेंट्स को नहीं मिली राहत
प्रशासन के निर्णय के बाद भी पेरेंट्स को राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। प्रशासन के फैसले को मानने से इन्कार करने के बाद जो पेरेंट्स स्कूल में फीस जमा करवाने जा रहे हैं, स्कूल प्रबंधक उनसे बढ़ी फीस मांग रहे हैं। ऐसे में प्रशासन के फैसले से पेरेंट्स को कोई राहत नहीं मिली है। बढ़ी फीस लेने पर अड़े प्राइवेट स्कूल संचालक
प्राइवेट स्कूल संचालक प्रशासक द्वारा लिए फैसले को ठेंगा दिखा रहे हैं। इसके साथ ही प्राइवेट स्कूल बढ़ी फीस के साथ पेरेंट्स से राशि लेने पर अड़े हुए हैं। प्राइवेट स्कूलों और प्रशासन के बीच पेरेंट्स बुरी तरह पिस रहे हैं। जिन अभिभावकों ने ज्यादा फीस जमा की है, उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। बढ़ी राशि अगले महीने की फीस में एडजस्ट कर दी जाएगी। नियमों का पालन न करने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ 15 जून के बाद कार्रवाई की जाएगी।
- रुबिंदरजीत सिंह बराड़, डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन, चंडीगढ़।
हम प्रशासन के इस फैसले को मानने से इन्कार करते हैं। इसके लिए कोर्ट में याचिका दायर की हुई है। कोर्ट जो भी फैसला देगा हमें मंजूर होगा। आपदा प्रबंधन अधिनियम में संशोधन करके प्रशासन ने गलत निर्णय लिया है।
-(एचएस मामिक, प्रेसिडेंट, इंडिपेंडेंट स्कूल्स एसोसिएशन) कई स्कूल बढ़ाकर ले चुके हैं फीस
प्रशासन को यह फैसला पहले करना चाहिए था। इस समय कई पेरेंट्स ने स्कूलों में फीस जमा करवा दी है। वहीं स्कूल प्रबंधक ने जो बढ़ाकर फीस ली है, वह रिफंड नहीं करेगा और न ही उसे अगली ट्यूशन में ऐड करेगा।
-(कमलप्रीत सिंह) प्राइवेट स्कूलों ने पहले भी प्रशासन के किसी फैसले को नहीं माना है। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस फैसले से पेरेंट्स को थोड़ी राहत मिली थी लेकिन अब वो उम्मीद भी खत्म हो गई है।
-(लखविदर सिंह) प्राइवेट स्कूल संचालकों को यह अच्छा बहाना मिला हुआ है। किसी भी फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में चले जाना। इस तानाशाही रवैये की वजह से मैंने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकाल लिया है।
-(सत्कार सिंह) जब इस फैसले को प्राइवेट स्कूलों में लागू किया जाएगा तब यह बेहतरीन फैसला होगा। इससे पहले भी कई फैसले लिए गए हैं, जिसे इम्प्लीमेंट नहीं किया गया है।
-(पंकज श्रीवास्तव)