FMSCI नेशनल सुपरक्रॉस चैंपियनशिपः MRF मोग्रिप राउंड पांच में पृथ्वी Top पर Chandigarh News
पीयू से कोर्सपोंडेंट बीए फर्स्ट की पढ़ाई करने वाले पृथ्वी बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने साइकिल पर स्टंट करने शुरू किए थे लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई मेरा क्रेज बढ़ता गया
चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। मोटरक्रॉस रेसर पृथ्वी ढिल्लों ने इसी महीने दो बड़ी प्रतियोगिताओं में शानदार पोजीशन हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। एमआरएफ मोग्रिप-एफएमएससीआइ नेशनल सुपरक्रास चैंपियनशिप में पृथ्वी ने सुपरक्रॉस (एसएक्स)-1 ओपन कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया। वहीं एसएक्स-2 में पृथ्वी ने पृथ्वी दूसरे स्थान पर रहे। इस प्रतियोगिता में पृथ्वी बेस्ट राइडर भी रहे।
इससे पहले नासिक में आयोजित प्रतियोगिता के चौथे राउंड में पृथ्वी ने एसएक्स-1 में दूसरा और एसएक्स-2 में तीसरा स्थान हासिल किया था। उन्होंने बताया कि एमआरएफ मोग्रिप-एफएमएससीआइ में अभी सुपरक्रॉस-टू रेस में पृथ्वी ओवरऑल चैंपियनशिप में तीसरे स्थान पर चल रहे हैं। अभी प्रतियोगिता का आखिरी राउंड बचा है, ऐसे में उम्मीद है कि पृथ्वी की रैंकिंग में सुधार की उम्मीद है।
पृथ्वी के लिए पिता ने बनवाया है अपना सुपरक्रॉस ट्रैक
गवर्नमेंट हाई स्कूल सारंगपुर के स्पोर्ट्स टीचर जतिंदर पाल सिंह बताते हैं कि उन्होंने अपने बेटे पृथ्वी को जिमनास्ट बनाने के कोचिंग दिलाना शुरू किया था, लेकिन कुछ दिन बाद ही पृथ्वी ने जिमनास्टिक सीखने से मना कर दिया। पृथ्वी अपने चाचा जेपी की तरह मोटरक्रास में भविष्य बनाना चाहता था। शुरुआत में हमने टालने की कोशिश की, लेकिन मेरी पत्नी हॉकी कोच कुसुम ने कहा कि हमें पृथ्वी को प्रोत्साहित करना चाहिए। पृथ्वी के शौक को पूरा करने के लिए पहले हमने उसके लिए सात लाख की बाइक खरीदी और अब सुपरक्रॉस ट्रैक बनाया है। जयंती देवी के पास ¨शगरीवाला गांव में 500 मीटर यह सुपरक्रॉस ट्रैक ट्राईसिटी का यह पहला स्थाई ट्रेक है, इसमें इंटरनेशनल लेबल के जंप रखे गए हैं और बाइकर्स को स्टंट ट्रेनिंग के लिए बकायदा बेंगलुरु से कोच प्रमोद जोश्वा को हायर किया है। उन्होंने बताया कि अभी भी हर प्रतियोगिता में हिस्सा लेना हमारे लिए बड़ी चुनौती होता है, क्योंकि एक स्थान से दूसरे स्थान बाइकस को ले जाने के लिए हजारों रुपये में गाड़ी हायर करनी पड़ती है।
साइकिल पर स्टंट करने किए थे शुरू
पंजाब यूनिवर्सिटी से कोर्सपोंडेंट बीए फस्र्ट की पढ़ाई करने वाले पृथ्वी सिंह बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने साइकिल पर स्टंट करने शुरू किए थे, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई मेरा क्रेज बढ़ता गया। दिल्ली के राइडर को देखा तो मैंने भी ठान लिया कि मुङो भी ऐसा ही बनाना है। मेरे चाचा जीवन जीत सिंह और पिता ज¨तदर सिंह ने मुङो मोटिवेट किया और अब मैं कुछ बेहतर कर रहा हूं। इसी साल बेंगलुरु में आयोजित हुई सुपरक्रॉस नेशनल चैंपियनशिप में मैं तीसरे स्थान पर था। अब इस टूर्नामेंट में भी अब तक प्रदर्शन संतोषजनक रहा है। हर जीत के साथ मेरा हौसला और आत्मविश्वास बढ़ रहा है।
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